नदी किनारे खड़ा है पगले

नदी किनारे खड़ा है पगले
नदी किनारे खड़ा है पगले, फिर भी तू है प्यासा
हरी का नाम तो पास है बंदे, फिर क्यूँ छ्चोड़े आशा

इस जाग की नादिया में देखो, प्रभु का जल है प्यारा
च्चल च्चल कल कल निर्मल है जल, प्रभु सुमिरन की धारा
जीवन की गति आइसो है, जस जल में पड़े बताशा
हरी का नाम तो पास है बंदे, फिर क्यू छ्चोड़े आशा

नदी किनारे खड़ा है पगले, फिर भी तू है प्यासा
हरी का नाम तो पास है बंदे, फिर क्यूँ छ्चोड़े आशा

बहती नादिया की धारा में, जी भरकर जल भर पी ले
जानम जानम की प्यास बुझे है, इस जीवन को जी ले
मृग तृष्णा की भटक माइट, और मॅन की माइट बिपसा

हरी का नाम तो पास है बंदे, फिर क्यू छ्चोड़े आशा
नदी किनारे खड़ा है पगले, फिर भी तू है प्यासा
हरी का नाम तो पास है बंदे, फिर क्यूँ छ्चोड़े आशा

जल दर्पण तू देख ले मुख को, प्रभु जल ही तंन धोता
निर्मल टन मॅन हो जावयए रे, रोज लगा ले गोता
श्याम दस हरी जल का प्यासा, जीवन टोला मासा

हरी का नाम तो पास है बंदे, फिर क्यू छ्चोड़े आशा
नदी किनारे खड़ा है पगले, फिर भी तू है प्यासा
हरी का नाम तो पास है बंदे, फिर क्यूँ छ्चोड़े आशा

नदी किनारे खड़ा है पगले, फिर भी तू है प्यासा
हरी का नाम तो पास है बंदे, फिर क्यूँ छ्चोड़े आशा
नदी किनारे खड़ा है पगले, फिर भी तू है प्यासा
हरी का नाम तो पास है बंदे, फिर क्यूँ छ्चोड़े आशा


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