सुख के सब साथी दुःख में न कोई

सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।
सुख के सब साथी, दुःख में न कोई।
मेरे राम, मेरे राम,
तेरा नाम एक सांचा, दूजा ना कोई॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।

जीवन आनी-जानी छाया,
झूठी माया, झूठी काया।
फिर काहे को सारी उमरिया,
पाप की गठरी ढोई॥

सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।
ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा,
यह जग जोगी वाला फेरा।
राजा हो या रंक सभी का,
अंत एक सा होई॥

सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।
बाहर की तू माटी फांके,
मन के भीतर क्यूँ ना झांके।
उजले तन पर मान किया,
और मन की मैल ना धोई॥

सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।
सुख के सब साथी, दुःख में न कोई।
मेरे राम, मेरे राम,
तेरा नाम एक सांचा दूजा ना कोई॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।

सुख के सब साथी,
दुःख में ना कोई।


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