दुर्जय दुर्गत भरि तज्विन संसारी
अनत नाथे अम्बे करुणा वितारी
वारी चर जनमा मरनचे चर
हरि पदलो आगत संवत निवारी
जय देवी जय देवी
जय देवी जय देवी महिषासुर मर्दिनी
सुरवर ईश्वर वारदे तारक संजीवनी
जय देवी जय देवी
त्रिभुवन भुवननि पहत तुझ असि नाहीं
चारि श्रमले परांतु न बोलावे काही
साही विवाद् करिता पदिले प्रवाही
ते तू भक्त लागे पावसी लवलही
जय देवी जय देवी