माखन दूँगी रे साँवरिया,
थोड़ी बंसी तो बजाय,
माखन दूँगी रे॥
बाँसुरी बजाय मीठी,
मुरली तो सुनाय,
माखन दूँगी रे॥
माखन दूँगी रे सांवरिया,
थोड़ी बंसी तो बजाय,
माखन दूँगी रे॥
ऐसी तो बजाय जैसी,
जमुना तट पे बाजी रे।
बहतो नीर तुरंत थम जाय,
माखन दूँगी रे॥
माखन दूँगी रे सांवरिया,
थोड़ी बंसी तो बजाय,
माखन दूँगी रे॥
ऐसी तो बजाय जैसी,
मधुबनमे बाजी रे।
चलती धेनु मगन हो जाय,
माखन दूँगी रे॥
माखन दूँगी रे सांवरिया,
थोड़ी बंसी तो बजाय,
माखन दूँगी रे॥
ऐसी तो बजाय जैसी,
बंसीवट पे बाजी रे।
संग की सहेली मगन हो जाय,
माखन दूँगी रे॥
माखन दूँगी रे सांवरिया,
थोड़ी बंसी तो बजाय,
माखन दूँगी रे॥
चंद्र सखी भज बाल कृष्ण छवि,
मुरली की धुन सुन, मन रम जाय,
माखन दूँगी रे॥
माखन दूँगी रे सांवरिया,
थोड़ी बंसी तो बजाय,
माखन दूँगी रे॥
माखन दूँगी रे साँवरिया,
थोड़ी बंसी तो बजाय,
माखन दूँगी रे॥
बाँसुरी बजाय मीठी,
मुरली तो सुनाय,
माखन दूँगी रे॥
माखन दूँगी रे सांवरिया,
थोड़ी बंसी तो बजाय,
माखन दूँगी रे॥