श्याम रंग में रंगी चुनरिया,
अब रंग दूजो भावे ना।
श्याम रंग में रंगी चुनरिया,
अब रंग दूजो भावे ना।
इन नैनन में श्यामा समायो,
और दुसरो आवे ना॥
श्याम रंग में रंगी चुनरिया, अब रंग दूजो भावे ना
बंसी वारे मोहन प्यारे,
छोड़ गए क्यों यमुना किनारे।
भक्त तुम्हारे बाट निहारे,
नैनन झरते असुवन धारे॥
लाग रही मन में दर्शन की,
और लगन यह जावे ना।
इन नैनन में श्यामा समायो,
और दुसरो आवे ना॥
श्याम रंग में रंगी चुनरिया,
अब रंग दूजो भावे ना।
इन नैनन में श्यामा समायो,
और दुसरो आवे ना॥
इन नैनन में श्यामा समायो, और दुसरो आवे ना
बोझा भारी रैन अँधियारी,
सूझत नाही, राह किनारी।
नाथ हमारे ओ त्रिपुरारी,
तारो या डारो मझधारी॥
तुम ही राह बता दो मोहन,
और कोई बतलावे ना।
इन नैनन में श्यामा समायो,
और दुसरो आवे ना॥
श्याम रंग में रंगी चुनरिया,
अब रंग दूजो भावे ना।
इन नैनन में श्यामा समायो,
और दुसरो आवे ना॥
श्याम रंग में रंगी चुनरिया,
अब रंग दूजो भावे ना।