भारत की पवित्र नर्मदा नदी: धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत

नर्मदा नदी, जिसे पहले नर्बदा या अंग्रेजी में नेरबुड्डा के नाम से भी जाना जाता था, भारत की 5वीं सबसे लंबी नदी है और देश की सबसे लंबी पश्चिम की ओर बहने वाली नदी भी है। यह नदी मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों से होकर बहती है, और इन राज्यों के जीवन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है, इसलिए इसे "मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में अमरकंटक पठार से निकलती है और गुजरात के भरूच शहर से होते हुए अरब सागर में जाकर मिलती है।

नर्मदा नदी की उत्पत्ति

नर्मदा नदी की उत्पत्ति छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पर मध्य प्रदेश में स्थित मैकाल पहाड़ियों के अमरकंटक पठार से होती है। यहाँ से यह नर्मदा कुंड नामक एक छोटे से जल निकाय से अपनी यात्रा प्रारंभ करती है। यह नदी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों से होकर गुजरते हुए अंततः गुजरात के भरूच शहर के पास खंभात की खाड़ी में प्रवेश करती है।

नर्मदा की मुख्य सहायक नदियाँ

नर्मदा नदी की लंबी यात्रा में कई सहायक नदियाँ इसे अपना जल प्रदान करती हैं, जो इसकी धारा को और भी अधिक समृद्ध बनाती हैं। ये सहायक नदियाँ नर्मदा के जल प्रवाह को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और इसके साथ ही आसपास के क्षेत्रों में कृषि, जलापूर्ति और पारिस्थितिकी को भी सुदृढ़ करती हैं।

  • तवा नदी: तवा नदी नर्मदा की सबसे प्रमुख सहायक नदियों में से एक है। इसका उद्गम सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से होता है और यह नर्मदा में होशंगाबाद जिले के पास मिलती है। तवा नदी पर बना तवा बांध एक महत्वपूर्ण जलाशय है जो सिंचाई और पेयजल की जरूरतों को पूरा करता है।
  • बरना नदी: बरना नदी नर्मदा की एक और प्रमुख सहायक नदी है, जिसका उद्गम मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के पास होता है। यह नदी नर्मदा में होशंगाबाद के पास मिलती है और स्थानीय कृषि और जलापूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
  • हिरन नदी: हिरन नदी जबलपुर जिले में बहने वाली एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण सहायक नदी है। यह नर्मदा नदी में जबलपुर के पास मिलती है और इस क्षेत्र के इकोसिस्टम का हिस्सा है।
  • बनास नदी: बनास नदी नर्मदा की एक अन्य सहायक नदी है, जो मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से निकलती है। यह नर्मदा में मंडला जिले के पास मिलती है और क्षेत्र की सिंचाई और जल आपूर्ति में मदद करती है।
  • शेर नदी: शेर नदी नर्मदा की एक प्रमुख सहायक नदी है, जो सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से निकलती है। यह नदी जबलपुर जिले में नर्मदा से मिलती है और इस क्षेत्र में जल संचयन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • बंजर नदी: बंजर नदी मध्य प्रदेश के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के पास से निकलती है और नर्मदा में डिंडोरी जिले के पास मिलती है। यह नदी जंगल के इकोसिस्टम का हिस्सा है और वन्यजीवों के लिए जल का स्रोत है।
  • बुरहनेर नदी: बुरहनेर नदी नर्मदा की एक छोटी सहायक नदी है, जो सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला से निकलकर नर्मदा में मिलती है। यह नदी अपने आसपास के क्षेत्र में जलापूर्ति और कृषि के लिए महत्वपूर्ण है।
  • छोटा तवा नदी: यह नदी तवा नदी की एक सहायक नदी है, जो सतपुड़ा पर्वतमाला से निकलती है और तवा में मिलती है। इसके बाद तवा नर्मदा में मिलती है, जिससे नर्मदा का जलस्तर और बढ़ जाता है।
  • ओरसंग नदी: ओरसंग नदी गुजरात के पंचमहाल जिले में उत्पन्न होती है और यह नर्मदा की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है। यह नदी नर्मदा नदी में भरूच के पास मिलती है।
  • कर्जन नदी: कर्जन नदी गुजरात के नर्मदा जिले से होकर गुजरती है और नर्मदा में मिलती है। यह नदी अपने आसपास के क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

नर्मदा नदी के बारे में रोचक तथ्य

  • नर्मदा की लंबाई और दिशा: उद्गम से समुद्र तक नदी की कुल लंबाई 1312 किलोमीटर (815 मील) है जबकि बांध स्थल तक लंबाई 1163 किलोमीटर (723 मील) है। नर्मदा नदी भारत की 5वीं सबसे लंबी नदी है और देश की सबसे लंबी पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है। यह मध्य प्रदेश राज्य की सबसे बड़ी बहने वाली नदी भी है।
  • धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता: नर्मदा नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। हिंदू धर्म में इसे एक देवी के रूप में पूजा जाता है, और इसके तट पर बसे कई तीर्थस्थल हैं, जैसे ओंकारेश्वर और महेश्वर। शरद पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा के दौरान संगमरमर की चट्टानों के क्षेत्र में नर्मदा के पानी में स्नान और नौका विहार करना शुभ माना जाता है। नर्मदा नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है, और इसे गंगा और सरस्वती के समान पवित्र माना जाता है।
  • कपिलधारा जलप्रपात: अपने उद्गम से 8 किमी की दूरी पर, नर्मदा नदी एक घाटी में गिरती है, जिससे कपिलधारा जलप्रपात बनता है। ऐसा माना जाता है कि कपिल ऋषि ने यहीं तपस्या की थी।
  • नर्मदा पर बने महत्वपूर्ण बांध: नर्मदा सागर बांध, सरदार सरोवर बांध, इंदिरा सागर बांध, ओंकारेश्वर बांध और बरगी बांध इस नदी पर बने प्रमुख बांध हैं।
  • नर्मदा प्रदक्षिणा: यह एक अत्यंत शुभ तीर्थयात्रा है, जिसमें तीर्थयात्री भरूच से अमरकंटक तक नर्मदा नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे तक की यात्रा करते हैं।

नदी के मार्ग में प्रमुख पर्यटक स्थल

  • मार्बल रॉक्स और भेड़ाघाट: जबलपुर के पास नर्मदा नदी संगमरमर की चट्टानों से होकर गुजरती है, जिससे एक आश्चर्यजनक घाटी बनती है। यहाँ भेड़ाघाट में नौका विहार का आनंद लिया जा सकता है।
  • धुआंधार जलप्रपात: नर्मदा नदी जबलपुर के पास भेड़ाघाट में एक चट्टानी घाटी से नीचे गिरती है, जिससे धुआंधार जलप्रपात बनता है। यहाँ पानी बहुत तेज़ी से गिरता है, जिससे धुंध बनती है, और यह दृश्य बेहद मनोरम होता है।
  • ओंकारेश्वर: यह एक पवित्र स्थान है, जो ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह खंडवा में नर्मदा नदी के एक द्वीप पर स्थित है।
  • महेश्वर किला: महान मराठा रानी अहिल्या देवी होल्कर द्वारा निर्मित यह किला महेश्वर शहर में स्थित है और इतिहास प्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।
  • स्टैच्यू ऑफ यूनिटी: गुजरात में नर्मदा के तट पर स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल की यह 600 फीट ऊंची प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है।

नर्मदा की उत्पत्ति की कहानी

नर्मदा नदी को भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। पुराणों के अनुसार, सूर्य देव और देवी छाया की पुत्री देवी तपती ने नर्मदा के रूप में पुनर्जन्म लिया था। एक अन्य किंवदंती के अनुसार, शिव की तपस्या से निकले पसीने से नर्मदा का निर्माण हुआ, इसलिए इसे शिव की पुत्री भी माना जाता है।

नदी के किनारे बसे प्रमुख शहर

  1. अमरकंटक: यह नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है और एक पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में विख्यात है।
  2. जबलपुर: मध्य प्रदेश में स्थित यह शहर नर्मदा नदी के तट पर बसा है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
  3. नर्मदापुरम (होशंगाबाद): यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और व्यावसायिक शहर है, जो अपने मंदिरों, घाटों और स्मारकों के लिए जाना जाता है।
  4. भरूच: गुजरात में नर्मदा नदी के मुहाने के पास स्थित यह ऐतिहासिक शहर अपने औद्योगिक महत्व और प्राचीन विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
  5. महेश्वर: यह शहर प्राचीन मंदिरों, घाटों और स्मारकों का धनी है और यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर अद्वितीय है।

नर्मदा नदी न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के भूगोल, इतिहास और पर्यावरण में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसके किनारे बसे शहर और इसके तट पर स्थित स्थलों की यात्रा से नर्मदा नदी की महिमा और इसके योगदान को करीब से देखा जा सकता है।



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