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आज भी काफी लोगों को नहीं पता होगा कि भगवान हनुमान जी के भाई भी थे। भगवान हनुमानजी ने अपना पूरा जीवन ब्रहम्चर्य का पालन किया और प्रभु राम की सेवा लगे रहें। हनुमानजी के बारे में सभी जानते है परन्तु उनके भाईयों के बारे बहुत कम जानकारी मिलती है। भगवान हनुमानजी, जिन्हें भक्त और शौर्य का प्रतीक माना जाता है, अपने भाइयों के बीच सबसे बड़े थे। उनके परिवार का उल्लेख ‘ब्रह्मांडपुराण’ में मिलता है, जहां उनके भाइयों के नाम और उनके जीवन का वर्णन किया गया है। हनुमानजी के अन्य भाइयों के नाम हैं - मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान। इनके सभी भाई विवाहित थे और संतान से संपन्न थे, जबकि हनुमानजी ने जीवनभर ब्रह्मचर्य का पालन किया और अपना जीवन सेवा और भक्ति में समर्पित कर दिया।
'ब्रह्मांडपुराण' के अनुसार, केसरी ने कुंजर की रूपवती पुत्री अंजना को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। अंजना के गर्भ से वायुदेव के आशीर्वाद स्वरूप हनुमानजी का जन्म हुआ। यह भी माना जाता है कि हनुमानजी का जन्म प्राणस्वरूप वायु के अंश से हुआ, जो उनकी अद्वितीय शक्ति और ऊर्जा का आधार है।
हनुमानजी के सभी भाई विवाहित जीवन जीते थे और सांसारिक जिम्मेदारियों का पालन करते थे। इसके विपरीत, हनुमानजी ने भगवान राम की सेवा और भक्ति को ही अपना जीवन ध्येय बनाया। उनके परिवार के सदस्यों का नाम उनके गुणों को दर्शाता है, जैसे मतिमान (बुद्धिमान), श्रुतिमान (ज्ञानी), केतुमान (गौरव का प्रतीक), गतिमान (सदैव प्रगतिशील) और धृतिमान (धैर्यवान)।
हनुमानजी की कथा और उनका जीवन उनके अद्वितीय गुणों, अदम्य भक्ति और महान कार्यों के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगा। उनका परिवार और उनकी जन्मकथा भारतीय पौराणिक साहित्य में उनकी महिमा को और गहराई से समझने में सहायक है।