![जानकी जयंती 2025 - देवी सीता के जन्म का उत्सव जानकी जयंती 2025 - देवी सीता के जन्म का उत्सव](/img/janaki-jayanti.jpg)
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रामदास नवमी वह पावन दिन है जब हम 17वीं शताब्दी के महान मराठी संत, समर्थ रामदास स्वामी की पुण्यतिथि का स्मरण करते हैं। 2025 में यह दिन 22 फरवरी को पड़ता है। पारंपरिक मराठी कैलेंडर के अनुसार, माघ माह (जनवरी-फरवरी) के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को समर्थ रामदास ने अपना भौतिक शरीर त्याग दिया और परमात्मा में विलीन हो गए। उनके अनुयायी इस दिन उनकी शिक्षाओं और भक्ति के आदर्शों को याद करते हुए विभिन्न धार्मिक आयोजन करते हैं।
समर्थ रामदास स्वामी न केवल एक गहन आध्यात्मिक गुरु थे, बल्कि दार्शनिक और समाज सुधारक के रूप में भी अपनी अमिट छाप छोड़ गए। बचपन से ही उन्हें भगवान राम और हनुमान के प्रति अत्यंत श्रद्धा थी, और कहा जाता है कि उनके विचारों ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर भी गहरा प्रभाव डाला था।
उनकी कविताएँ और लघुकथाएँ सार्वभौमिक सत्य से परिपूर्ण हैं, जो लोगों में आत्म-साक्षात्कार एवं नैतिक जागरूकता का संचार करती हैं। उन्होंने ‘दासबोध’ नामक ग्रंथ की रचना की, जिसमें व्यावहारिक जीवन के साथ-साथ आध्यात्मिक मार्गदर्शन भी प्रदान किया गया है।
रामदास नवमी समर्थ रामदास स्वामी की पुण्यतिथि का स्मरण कर, उनके उपदेशों और साहित्यिक रचनाओं को पुनर्जीवित करने का दिन है। इस दिन उनके अनुयायी उपवास, पूजा-अर्चना, और भजन-कीर्तन के माध्यम से उनके आदर्शों को आत्मसात करते हैं।
विशेष रूप से, दासबोध का पाठ किया जाता है जिससे उनकी शिक्षाएँ और विचार व्यापक रूप से फैलते हैं। यह दिन हमें आध्यात्मिकता, नैतिकता और सामाजिक एकता का संदेश भी प्रदान करता है।
इस पावन अवसर पर भक्तगण निम्नलिखित कार्यक्रम आयोजित करते हैं:
समर्थ रामदास ने कई अमर साहित्यिक कृतियाँ रचीं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
अंत में ,
रामदास नवमी का यह पावन दिन समर्थ रामदास स्वामी के जीवन, उनके उपदेशों और उनकी रचनाओं का स्मरण कर हमें आध्यात्मिकता एवं नैतिकता की ओर प्रेरित करता है। इस दिन की पूजा-अर्चना, उपवास और सांस्कृतिक कार्यक्रम हमें यह संदेश देते हैं कि भक्ति, आत्मसमर्पण और सामाजिक एकता से हम अपने जीवन में सत्य और सुंदरता को स्थापित कर सकते हैं।