महार्षि दयानंद सरस्वती जयन्ती, हर वर्ष महान दार्शनिक और सामाजिक सुधारक महार्षि दयानंद सरस्वती के सम्मान में मनाई जाती है। यह दिन उनके जन्मोत्सव के रूप में न केवल उनके अद्वितीय योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि समाज में वेदिक ज्ञान, सामाजिक समानता और तार्किक सोच के महत्व को पुनर्जीवित करने का संदेश भी देता है। 2025 में, यह पावन दिन 23 फरवरी को मनाया जाएगा, जो माघ माह के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को निर्धारित है।
1824 में टनकारा, गुजरात में जन्मे महार्षि दयानंद सरस्वती ने अपने संपूर्ण जीवन को समाज के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने 1875 में आर्य समाज की स्थापना की, जिसका उद्देश्य वेदों के उपदेशों को फैलाना, अंधविश्वास और मूर्ति पूजन का विरोध करना तथा शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देना था।
उनकी प्रमुख रचना सत्यार्थ प्रकाश आज भी आधुनिक हिंदू विचारधारा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। महार्षि सरस्वती न केवल समाज के विभिन्न स्तरों पर सुधार की वकालत करते थे, बल्कि महिलाओं के अधिकार, जाति प्रथा के उन्मूलन और सामाजिक रूप से हाशिए पर पड़े लोगों के सशक्तिकरण के लिए भी दृढ़ थे।
अंत में,
महार्षि दयानंद सरस्वती जयन्ती 2025 हमें उनके आदर्शों, सुधारवादी सोच और वेदिक ज्ञान की महत्ता का स्मरण कराती है। यह त्योहार न केवल उनके योगदान का सम्मान है, बल्कि हमें भी प्रेरणा देता है कि हम अपने जीवन में शिक्षा, सामाजिक न्याय और नैतिकता के मार्ग पर अग्रसर हों। इस जयन्ती के अवसर पर, आइए हम सब मिलकर उनके संदेशों को आत्मसात करें और एक सकारात्मक, जागरूक तथा समान समाज का निर्माण करें।