गोविंदा द्वादशी व्रत को हिन्दू धर्म में विशेष माना जाता है। यह व्रत हिन्दू मास के ‘फाल्गुन’ के दौरान शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर आता है। अंग्रेजी कैलेंडर के फरवरी महीने में आता है। भगवान विष्णु के भक्तों के लिए गोविंदा द्वादशी का बहुत महत्व है। इस दिन हिंदू भक्त सुखी और समृद्ध जीवन के लिए भगवान विष्णु का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। गोविंदा द्वादशी को ‘नरसिंह द्वादशी’ के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के ‘नरसिंह’ अवतार की पूजा की जाती है।
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष द्वादशी को गोविंदा द्वादशी व्रत विधान है। गोविदा द्वादशी का व्रत पूर्णरूप से भगवान विष्णु का समर्पित है। यह व्रत करने वालों को संतान की प्राप्ति, समस्त धन-धान्य, सौभाग्य का सुख मिलता है। यह व्रत करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पुराणों में यह व्रत समस्त कार्य को सिद्ध करने वाला होता है।
इन मंत्रों का जाप जातक को व्रत धारण कर पूजन के दौरान करना चाहिए। इससे व्रत को पूर्णता प्राप्त होती है।
भारत के राज्य पुरी के जगन्नाथ मंदिर में इस त्योहार का उत्सव बहुत विस्तृत और महत्वपूर्ण ंहै। गोविंदा द्वादशी के उत्सव के अलावा द्वारकाधीश मंदिर, तिरुमाला वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर, तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर और भगवान विष्णु के अन्य प्रमुख मंदिरों में भी लोकप्रिय है। गोविंदा द्वादशी को भारत के दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और कर्नाटक में बहुत उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।