शिवशंकरजी की आरती

महत्वपूर्ण जानकारी

  • "हर हर हर महादेव" शिव के प्रति समर्पित एक दिव्य स्तोत्र है, जो भगवान शिव की अद्वितीय महिमा और उनके विविध रूपों का वर्णन करता है। यह स्तोत्र शिव के सत्य, सनातन और अनंत स्वरूप को उजागर करता है। शिव, जो त्रिमूर्ति के रूप में सृष्टि के कर्ता, भर्ता और संहारक हैं, उन्हें "हर हर महादेव" के माध्यम से आत्मसमर्पण और भक्ति के साथ याद किया जाता है।

  • इस आरती में शिव के योगी, वैरागी, औघड़दानी और करुणामय स्वरूप का वर्णन किया गया है। शिव का व्यक्तित्व उनके अद्वितीय रूप जैसे कि चिता भस्म लिप्त तन, त्रिनयन, मुण्डमाल, और कालरूपी स्वरूप के साथ प्रकट होता है। यह स्तोत्र भक्तों के लिए शांति, आनंद और भक्ति का स्रोत है।

हर हर हर महादेव !
सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी।
अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥

हर हर हर महादेव !
आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी।
अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी॥

हर हर हर महादेव !
ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर तुम त्रिमूर्तिधारी।
कर्ता, भर्ता, धर्ता, तुम ही संहारी॥

हर हर हर महादेव !
रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय औढरदानी।
साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता अभिमानी॥

हर हर हर महादेव !
मणिमय-भवन निवासी, अति भोगी रागी।
सदा श्मशान विहारी, योगी वैरागी॥

हर हर हर महादेव !
छाल-कपाल, गरल-गल, मुण्डमाल व्याली।
चिता भस्मतन त्रिनयन, अयनमहाकाली॥

हर हर हर महादेव !
प्रेत-पिशाच-सुसेवित, पीत जटाधारी।
विवसन विकट रूपधर, रुद्र प्रलयकारी॥

हर हर हर महादेव !
शुभ्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी।
अतिकमनीय, शान्तिकर, शिवमुनि मन-हारी॥

हर हर हर महादेव !
निर्गुण, सगुण, निरञ्जन, जगमय नित्य प्रभो।
कालरूप केवल हर! कालातीत विभो॥

हर हर हर महादेव !
सत्, चित्, आनन्द, रसमय, करुणामय धाता।
प्रेम-सुधा-निधि प्रियतम, अखिल विश्व त्राता॥

हर हर हर महादेव !
हम अतिदीन, दयामय! चरण-शरण दीजै।
सब विधि निर्मल मति कर, अपना कर लीजै॥

हर हर हर महादेव !







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