शीश गंज गुरुद्वारा शहीदों के इतिहास वाले सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक गुरुद्वारों में से एक है। यह पुरानी दिल्ली के चांदनी चैक क्षेत्र में स्थित है। इस ऐतिहासिक स्थल पर, 1675 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने नौवें सिख गुरु तेग बहादुर को इस्लाम कबूल करने के लिए कहा था, परन्तु गुरू जी ने मना कर दिया गया था। ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार जब गुरु तेग बहादुर का मृत्यु हो गई थी तो यहां तक कि उनकी लाश को भी नहीं लेने दिया गया था। तो अचानक बारिश आई थी, उनके दो चेलो ने उनका शरीर और सिर लेकर भाग गये और फिर अंतिम संस्कार किया था। वर्तमान गुरुद्वारा संरचना का निर्माण 1930 में किया गया था। इस गुरूद्वारे की मुख्य संरचना इसका विशाल व खुला हॉल है।
गुरु ग्रंथ साहिब को एक बड़े लाल रंग के कपड़े में कवर के, हाॅल के मध्य में कांस्य छत के नीचे रखा जाता है। यहां पर एक बरगद का पेड़ हैं जहां पर महान गुरु शहीद हुए थे। यहां गुरुद्वारे के भीतर एक ढांचा भी है जहां पर गुरु जी को कैदी के रूप में रखा गया था।