सुरजकुण्ड का मेला हर साल फरीदाबाद, हरियाणा में बसंत के दौरान 01 फरवरी से 16 फरवरी तक आयोजित किया जाता है। यह मेला भारत का एक रंगीन पांरपरिक शिल्प त्योहार है जोकि सुरजकुण्ड परिसर में हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित किया हाता है। इस मेले का पहली बार 1987 आयोजित किया गया था। इस मेले की विशेषता यह है कि इसमें भारत के सभी राज्यों के हस्तशिल्प व कारीगरों द्वारा बनायें समान को एक स्थान पर देखा व खरीदा जा सकता है। यह परंपरा, विरासत और संस्कृति के अद्भुत समन्वय के साथ-साथ माटी की महक सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले की पहचान है।
सुरजकुण्ड का मेला हर साल एक नये विषय पर आयोजित किया जाता है व इसके आधार पर ही मेले की साज-सज्जा की जाती है। इस मेले में लोक संगीत का भी आयोजन किया जाता है। सभी राज्य के कलाकार अपने-अपने लोक संगीत का प्रदर्शन करते है। ऐसा कहा जा सकता है कि भारतीय कला, संस्कृति और संगीत को एक ही स्थान पर देखा जाये तो वह स्थान सुरजकुण्ड का मेला है। मेले का पूरा वातावरण संगीतमय व आनंदमय रहता है। इस मेले का हिस्सा बनने के लिए भारत से ही नहीं विदेशो से भी कलाकार आते है। मेले में प्रेवश के लिए टिकट निर्धारित किया जाता है। हर साल देश विदेश से लाखों दर्शक मेले का आनन्द लेने के लिए यहा आते है।
इस मेले के आयोजन का मुख्स उद्देश्य भारत की परंपरागत व रीति-रिवाजों को कायम रखाना है और इस परंपरा को मेले में आये दर्शकों का अवगत कराना है। भारत के सभी राज्यों के आये कलाकार व कारीगर अपनी अपनी कला व शिल्पकला का प्रदर्शन करते है।
सुरजकुण्ड मेला सैंकड़ों शिल्पियों के लिये रोजी-रोटी कमाने का एक अच्छा स्थान बन गया है जहां वे अपनी कला और शिल्प के राष्ट्रीय मंच के प्रदर्शन से अन्य रास्ते भी खुलते हैं। इसलिये वे अपनी कलाओं और शिल्पों के बेहतरीन नमूने लाते हैं और उन्हें मेले में प्रदर्शित करते हैं। मेले से नियार्तकों और खरीददारों को वार्षिक मिलन का भी अवसर मिलता है। यहां किसी विचैलिये के बिना शिल्पकार और निर्यातक आमने-सामने होते हैं। इससे शिल्पकारों को अपनी कला क्षेत्र का विस्तार करने और उसमें सुधार करने का सीधा मौका मिलता है।