बटेश्वर नाथ का नाम भारत के प्राचीन धार्मिक स्थलों में आता है। इस जगह का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है। बटेश्वर यमुना नदी के तट पर आगरा (उत्तर प्रदेश) से 70 किमी की दूरी पर स्थित है। बटेश्वर एक समृद्ध इतिहास के साथ सबसे पुराने गांवों में से एक है। यह भारत में महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र में से एक है। बटेश्वर स्थल यमुना और शौरीपुर के तट पर स्थित 101 शिव मंदिरों के लिए जाना जाता है। प्रसिद्ध बटेश्वर मेला राज्य के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बेटेश्वर में आयोजित किया जाता है।
यहां हर साल एक बड़ा पशु मेला अक्टूबर और नवंबर के महीने में (प्रतिवर्ष कार्तिक मास) आयोजित किया जाता है। शिव का एक नाम पशुपति भी है, बटेश्वर का पशुमेला इसे सार्थक करता है। बटेश्वर का पशुओं का मेला पूरे भारत में प्रसिद्ध है तथा इस मेले का आनन्द लेने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं।
यहां मेला तीन चरणों मे पूरा होता है, पहले चरण में ऊँट, घोड़े और गधों की बिक्री होती है, दूसरे चरण में गाय आदि अन्य पशुओं की तथा अंतिम चरण में सांस्कृतिक रंगा रंग कार्यक्रम होते हैं। मेला शुरू होने के एक सप्ताह पहले से ही पशु-व्यापारी अपने पशु लेकर यहां पहुँचने लगते हैं। मेले में पशुओं की विभिन्न प्रकार की दौड़ों का आयोजन भी किया जाता है। बटेश्वर के इस छोटे से शहर में अब तक शहर के व्यस्त जीवन से मन की शांति प्रदान करता है जो हिन्दुओं और जैनियों के लिए पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख स्थान है।