योऽन्त:सुखोऽन्तरारामस्तथान्तज्र्योतिरेव य: ।
स योगी ब्रह्मनिर्वाणं ब्रह्मभूतोऽधिगच्छति ।। 24।।
अर्थ: जो अपने भीतर प्रसन्न हैं, भीतर भगवान के आनंद का आनंद ले रहे हैं, और आंतरिक प्रकाश से प्रकाशित हैं, ऐसे योगी भगवान के साथ जुड़ जाते हैं और भौतिक अस्तित्व से मुक्त हो जाते हैं।
यः– कौन;
अन्तः-सुखः– स्वयं में प्रसन्न;
अन्तः-अरामः– अपने भीतर आनंदित;
तथा– साथ ही;
अन्तः-ज्योतिः– आंतरिक प्रकाश से प्रकाशित;
एव– निश्चय ही;
यः– कौन;
सः– वह;
योगी– योगी;
ब्रह्म-निर्वाणम्– भौतिक अस्तित्व से मुक्ति;
ब्रह्मभूतः– भगवान से संयुक्त;
अधिगच्छति– प्राप्त करता है |