ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितमात्मन: |
तेषामादित्यवज्ज्ञानं प्रकाशयति तत्परम् || 16||
अर्थ: सर्वव्यापी ईश्वर किसी के पाप या पुण्य कर्मों में स्वयं को शामिल नहीं करता है। जीव भ्रमित हैं क्योंकि उनका आंतरिक ज्ञान अज्ञान से आच्छादित है।
ज्ञानेन– दिव्य ज्ञान से;
तु– लेकिन;
तत्– वह;
अज्ञानम्– अज्ञान;
येषाम् - जिसका;
नाशितम्– नष्ट हो गया;
आत्मनः– स्वयं का;
तेषाम्– उनके;
आदित्य-वत्– सूर्य के समान;
ज्ञानम् - ज्ञान;
प्रकाशयति– प्रकाशित करता है;
तत्– वह;
परम्– परम सत्ता