विष्णुहृदयस्तोत्रम्
श्री गणेशाय नमः ।
ॐ अस्य श्रीगोपालहृदयस्तोत्रमन्त्रस्य । श्रीभगवान् सङ्कर्षण ऋषिः ।
गायत्री छन्दः । ॐ बीजम् । लक्ष्मीः शक्तिः । गोपालः परमात्मा देवता ।
प्रद्युम्नः कीलकम् । मनोवाक्कायार्जितसर्वपापक्षयार्थे
श्रीगोपालप्रीत्यर्थे गोपालहृदयस्तोत्रजपे विनियोगः ।
श्रीसङ्कर्षण उवाच
ॐ ममाग्रतः सदा विष्णुः पृष्ठतश्चापि केशवः ।
गोविन्दो दक्षिणे पार्श्वे वामे च मधुसूदनः ॥ १॥
उपरिष्टात्तु वैकुण्ठो वाराहः पृथिवीतले ।
अवान्तरदिशः पातु तासु सर्वासु माधवः ॥ २॥
गच्छतस्तिष्ठतो वापि जाग्रतः स्वपतोऽपि वा ।
नरसिंहकृताद्गुप्तिर्वासुदेवमयो ह्ययम् ॥ ३॥
अव्यक्तं चैवास्य योनिं वदन्ति व्यक्तं देहं दीर्घमायुर्गतिश्च ।
वह्निर्वक्त्रं चन्द्रसूर्यौ च नेत्रे दिशः श्रोते घ्राणमायुश्च वायुम् ॥ ४॥
वाचं वेदा हृदयं वै नभश्च पृथ्वी पादौ तारका रोमकूपाः ।
अङ्गान्युपाङ्गान्यधिदेवता च विद्यादुपस्थं हि तथा समुद्रम् ॥ ५॥
तं देवदेवं शरणं प्रजानां यज्ञात्मकं सर्वलोकप्रतिष्ठम् ।
अजं वरेण्यं वरदं वरिष्ठं ब्रह्माणमीशं पुरुषं नमस्ते ॥ ६॥
आद्यं पुरुषमीशानं पुरुहूतं पुरस्कृतम् ।
ऋतमेकाक्षरं ब्रह्म व्यक्तासक्तं सनातनम् ॥ ७॥
महाभारतमाख्यानं कुरुक्षेत्रं सरस्वतीम् ।
केशवं गां च गङ्गां च कीर्तयेन्मां प्रसीदति ॥ ८॥
ॐ भूः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ भुवः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ स्वः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ महः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ जनः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ तपः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ सत्यं पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ भूर्भुवः स्वः पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ वासुदेवाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ सङ्कर्षणाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ प्रद्युम्नाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ अनिरुद्धाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ हयग्रीवाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ भवाद्भवाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ केशवाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ नारायणाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ माधवाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ गोविन्दाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ विष्णवे पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ मधुसूदनाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ वैकुण्ठाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ अच्युताय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ त्रिविक्रमाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ वामनाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ श्रीधराय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ हृषीकेशाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ पद्मनाभाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ मुकुन्दाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ दामोदराय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ सत्याय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ ईशानाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ तत्पुरुषाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ पुरुषोत्तमाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ श्री रामचन्द्राय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ श्री नृसिंहाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ अनन्ताय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ विश्वरूपाय पुरुषाय पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
ॐ प्रणवेन्दुवह्निरविसहस्रनेत्राय पुरुषाय
पुरुषरूपाय वासुदेवाय नमो नमः ।
य इदं गोपालहृदयमधीते स ब्रह्महत्यायाः पूतो भवति ।
सुरापानात् स्वर्णस्तेयात् वृषलीगमनात् पति सम्भाषणात्
असत्यादगम्यागमनात् अपेयपानादभक्ष्यभक्षणाच्च पूतो भवति ।
अब्रह्मचारी ब्रह्मचारी भवति । भगवान्महाविष्णुरित्याह ।
॥ इति गोपालहृदयस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
गोपाल हृदय स्तोत्र भगवान कृष्ण को समर्पित एक संस्कृत भजन है, जो विशेष रूप से उनके दिव्य हृदय पर केंद्रित है। यह स्तोत्र एक भक्ति रचना है जो भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा और प्रेम व्यक्त करता है, सर्वोच्च व्यक्ति के रूप में उनकी भूमिका और उनके भक्तों के लिए भक्ति की वस्तु पर जोर देता है।
संस्कृत में "हृदय" शब्द का अर्थ हृदय है, और यह स्तोत्र भगवान कृष्ण के हृदय को दिव्य प्रेम और करुणा के निवास के रूप में स्तुति करता है। भक्तों द्वारा भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने और उनके साथ अपने आध्यात्मिक संबंध को गहरा करने के लिए इसका पाठ किया जाता है।
इस परिप्रेक्ष्य को स्वीकार करते हुए, यह भी व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि कृष्ण भगवान श्री विष्णु के दस अवतारों में से एक हैं। भगवान कृष्ण सच्चे प्रेम और मित्रता के प्रतीक हैं और अपने भक्तों के प्रति उनकी उदारता के लिए पूजनीय हैं। भगवान कृष्ण को समर्पित सबसे प्रतिष्ठित प्रार्थनाओं में से एक "कृष्ण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र" है, जिसमें "गोपाल हृदय स्तोत्र" के साथ 108 नाम शामिल हैं, जो उनकी पूजा के दौरान नियोजित किया जाता है।
"गोपाल हृदय स्तोत्र" एक अत्यंत प्रभावशाली प्रार्थना है, जिसका पाठ मानसिक शांति और खुशी के लिए प्राचीन काल से ऋषि-मुनियों द्वारा किया जाता रहा है। इन ऋषियों ने व्यक्तिगत रूप से इस स्तोत्र के परिवर्तनकारी प्रभावों का अनुभव किया। गोपाल हृदय स्तोत्र का पाठ करने से मानसिक शांति, आत्म-आश्वासन और समृद्धि मिलती है। इसके अलावा, यह जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है, जिसमें बीमारियों और आंखों की परेशानी, विरोधियों के कारण होने वाली प्रतिकूलताएं और सभी प्रकार की चिंताएं और तनाव शामिल हैं। इस स्तोत्र के लाभ अनगिनत और दूरगामी हैं।