आयुर्वेद एक चिकित्सा प्रणाली है जो विश्व में सबसे प्राचीन प्रणाली है। आयुर्वेद को जीवन का अमृत रूपी ज्ञान कहा जाता है। आयुर्वेद की तुलना अमृत से कि जाती है। आयुर्वेद का सम्बन्ध मानव शरीर को रोग मुक्त करना और शरीर को रोग मुक्त किस तरह रखा जाये, इस भी ज्ञान दिया जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि आयुर्वेद की रचना सृष्टि की रचना से पहले हो गई थी। हमारे ऋषि मुनियों ने इस ज्ञान का उपर्जन किया। आयुर्वेद का अध्यान किया इसके लाभ हानि को समझा, फिर आयुर्वेद ज्ञान को सभी जन को दिया गया था।
आयुर्वेद एक जीवन शैली है। यदि आयुर्वेद का पालन किया जाये तो मानव लम्बी आयु प्राप्त कर सकते है। आयुर्वेद में जो दवाईयां दि जाती है उसका दुष्प्रभाव नहीं होता हैं। आयुर्वेद के कुछ नियम भी होते है, जिसका पालन सभी को अपने जीवन में करना चाहिए।
आयुर्वेद का वर्णन चरक संहिता में इस प्रकार है:-
हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्।
मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥ -(चरक संहिता १/४०)
अर्थात जिस ग्रंथ में - हित आयु (जीवन के अनुकूल), अहित आयु (जीवन के प्रतिकूल), सुख आयु (स्वस्थ जीवन), एवं दुःख आयु (रोग अवस्था) - इनका वर्णन हो उसे आयुर्वेद कहते हैं।
आयुर्वेदयति बोधयति इति आयुर्वेदः
अर्थात जो शास्त्र (विज्ञान) आयु (जीवन) का ज्ञान कराता है उसे आयुर्वेद कहते हैं।
स्वस्थ व्यक्ति एवं आतुर (रोगी) के लिए उत्तम मार्ग बताने वाला विज्ञान को आयुर्वेद कहते हैं।
अर्थात जिस शास्त्र में आयु शाखा (उम्र का विभाजन), आयु विद्या, आयुसूत्र, आयु ज्ञान, आयु लक्षण (प्राण होने के चिन्ह), आयु तंत्र (शारीरिक रचना शारीरिक क्रियाएं) - इन सम्पूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है वह आयुर्वेद है।
डॉ. बी.एन. सिन्हा