आरती प्रेतराज की कीजै दीन दुखिन के तुम रखवाले |
संकट जग के काटन हारे बालाजी के सेवक जोधा,
मन से नमन इन्हें कर लीजिए |
जिनके चरण कभी ना हारे, राम काज लगि जो अवतारे |
उनकी सेवा में चित्त देते, अर्जी सेवक की सुन लीजै ||
बाबा के तुम आज्ञाकारी, हाथी पर करे सवारी |
भूत जिन्न सब धर-थर कापे, अर्जी बाबा से कह दीजै ||
जिन्न आदि सब डर के मारे, नाक रगड़ तेरे पड़े दुआरे |
मेरे संकट तुरतहि काटो, यह विनय चित्त में धरि डीजे ||
वेश राजसी शोभा पाता, ढाल कृपाल धनुष अति भाता |
मैं आया कर शरण आपकी, नैया पार लगा मेरी दीजै ||