महत्वपूर्ण जानकारी
- अक्षय तृतीया 2025
- बुधवार, 30 अप्रैल 2025
- तृतीया तिथि आरंभ: 29 अप्रैल 2025 शाम 05:31 बजे
- तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 02:12 बजे
- नोट : आज के दिन से उत्तराखंड के चार धाम यात्रा शुरू हो जाएगी। चार धाम हैं - यमनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ।
- क्या आप जानते हैं: महाभारत का युद्ध इसी दिन समाप्त हुआ था और द्वापर युग भी समाप्त हुआ था इसी दिन कुबेर को मिला था खजाना और मां अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था.
अक्षय तृतीय त्योहार को अक्ती या आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार हिन्दुओं व जैनियों का एक शुभ त्योहार है। यह त्योहार वैशाख महीनें के शुक्ल पक्ष के तीसरे तीन पड़ता है। इस त्योहार को भारत व नेपाल में हिन्दुओं व जैनियों द्वारा एक शुभ समय के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जो भी कार्य इस दिन किये जाते है, उनका अक्षय फल मिलता है। इसलिए इस दिन को अक्षय तृतीय कहा जाता है।
संस्कृत में ‘अक्षय’ का अर्थ आशा, समृद्धि, आनंद और सफलता होता है और ‘तृतीय’ का अर्थ तीसरा होता है। हर महीनें शुक्ल पक्ष में तृतीय आती है, परन्तु वैशाख के दौरान आने वाली शुक्ल पक्ष में तृतीय को शुभ माना जाता है। यह दिन सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में विशेष महत्व रखता है। इसदिन कोई भी शुभ कार्य किये जा सकते है - जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश, वस्त्र, आभूषण, घर, जमीन और वाहन आदि खरीदना।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों के लिए किया गया पिण्डदान अथवा किसी भी प्रकार के दान से अक्षय फल प्राप्त होता है। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों से छुटाकर मिलता है। इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था।
हिन्दू धर्म में गंगा स्नान का एक विशेष महत्त्व होता है और अक्षय तृतीय के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठाकर गंगा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और जौ या गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित करना चाहिए। ब्रह्ममाणों को भोजन आदि करना चाहिए और उनको दान आदि करना चाहिए।
अक्षय तृतीय महत्व क्यों है और जानिए इस दिन कि कुछ महत्वपुर्ण जानकारियाँः-
- ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण।
- महाभारत का युद्ध इसी दिन समाप्त हुआ था और द्वापर युग भी इसी दिन समाप्त हुआ था।
- माँ अन्नपूर्णा का जन्म।
- चिरंजीवी महर्षी परशुराम का जन्म हुआ था इसीलिए आज परशुराम जन्मोत्सव भी हैं।
- कुबेर को खजाना मिला था।
- माँ गंगा का धरती अवतरण हुआ था।
- सूर्य भगवान ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया।
- वेदव्यास जी ने महाकाव्य महाभारत की रचना गणेश जी के साथ शुरू किया था।
- प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने का कठीन उपवास का पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।
- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण धाम का कपाट खोले जाते है।
- बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में श्री कृष्ण चरण के दर्शन होते है।
- जगन्नाथ भगवान के सभी रथों को बनाना प्रारम्भ किया जाता है।
- आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र की रचना की थी।
- अक्षय का मतलब है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो!!!
- अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है।
- आज के दिन से उत्तराखंड के चार धाम यात्रा शुरू होती हैं। चार धाम हैं - यमनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ।