भूतनाथ अष्टकम

महत्वपूर्ण जानकारी

  • भूतनाथ अष्टकम भगवान शिव का एक दिव्य भजन है, जिसे हिमालय के गुरु श्री कृष्ण दास जी ने लिखा है। शिवजी का यह स्तोत्र, हमारे स्वयंसेवकों द्वारा सभी 12 ज्योतिर्लिंगों, पशुपतिनाथ अमरनाथ मंदिरों में स्थापित किया गया है, और पूरे भारत में शिव मंदिरों में स्थापना की प्रक्रिया में है। हमारा एकमात्र मिशन इसे विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से अधिक से अधिक भक्तों तक पहुंचाना है ताकि वे अपने जीवन में भगवान शिव की दिव्यता को महसूस कर सकें जो निश्चित रूप से उनमें शुभता, सकारात्मक परिवर्तन, भौतिक और आध्यात्मिक वृद्धि का कारण बनेगा।

शिव शिव शक्तिनाथं संहारं शं स्वरूपम् 
नव नव नित्यनृत्यं ताण्डवं तं तन्नादम् 
घन घन घूर्णिमेघं घंघोरं घंन्निनादम् 
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||1|| 

कळकळकाळरूपं कल्लोळंकंकराळम् 
डम डम डमनादं डम्बुरुं डंकनादम् 
सम सम शक्तग्रिवं सर्वभूतं सुरेशम् 
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||2|| 

रम रम रामभक्तं रमेशं रां रारावम् 
मम मम मुक्तहस्तं महेशं मं मधुरम् 
बम बम ब्रह्मरूपं बामेशं बं विनाशम् 
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||3||  

हर हर हरिप्रियं त्रितापं हं संहारम् 
खमखम क्षमाशीळं सपापं खं क्षमणम् 
द्दग द्दग ध्यानमूर्त्तिं सगुणं धं धारणम् 
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||4|| 

पम पम पापनाशं प्रज्वलं पं प्रकाशम् 
गम गम गुह्यतत्त्वं गिरीशं गं गणानाम् 
दम दम दानहस्तं धुन्दरं दं दारुणम् 
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||5|| 

गम गम गीतनाथं दूर्गमं गं गंतव्यम् 
टम टम रूंडमाळं टंकारं टंकनादम् 
भम भम भ्रम् भ्रमरं भैरवं क्षेत्रपाळम् 
भज भज भस्मलेपं भजामि भूतनाथम् ||6|| 

त्रिशुळधारी संहारकारी गिरिजानाथम् ईश्वरम्
पार्वतीपति त्वम्मायापति शुभ्रवर्णम्महेश्वरम्
कैळाशनाथ सतीप्राणनाथ महाकालम्कालेश्वरम्
अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ||7||

नीलकंठाय सत्स्वरूपाय सदा शिवाय नमो नमः
यक्षरूपाय जटाधराय नागदेवाय नमो नमः
इंद्रहाराय त्रिलोचनाय गंगाधराय नमो नमः
अर्धचंद्रम् शिरकिरीटम्भूतनाथं शिवम्भजे ||8||

तव कृपा कृष्णदासः भजति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः स्मरति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः पश्यति भूतनाथम्
तव कृपा कृष्णदासः पिबति भूतनाथम् ||9||

|| अथ श्रीकृष्णदासः विरचित 'भूतनाथ अष्टकम्' यः पठति निस्कामभावेन सः शिवलोकं सगच्छति ||







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