गुरु नानक देव जी के जन्म को गुरुपुरब के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी सिख समुदाय के पहले गुरु थे। गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस को सिख समुदाय एक त्यौहार के रूप में मनाते है तथा सिखों को सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार भारत में ही नहीं अपितु पुरे विश्व में मनाते है, जहां जंहा पर सिख समुदायें के लोग रहते है। इस त्यौहार को गुरु नानक के प्रकाश उत्सव और गुरु नानक देव जी जयंती के रूप में भी जाना जाता है।
गुरु नानक देव जी ही सिख धर्म के संस्थापक है। इनका जन्म रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में हुआ था। तलवंडी जगह का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ‘ननकाना’ पड़ गया। वर्तमान में यह गांव अब पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में आता है। गुरु नानक देव का जन्म कार्तिक पुर्णिमा के दिन हुआ था, जो दिपावली के 15 दिन बाद आता है।
गुरु नानक देव जी के पिता का नाम मेहता कालू (लाला कल्याण राय) और माता को नाम तृप्ता देवी था। इनकी बहन का नाम नानकी था। नानक देव जी के शादी बीबी सुलखनी से हुआ था। उनके दो बेटे थे, जिनका नाम श्रीचन्द और लखमीदास था।
गुरु नानक देव जी की मृत्यु 22 सिंतबर सन् 1539 में कतार पुर शहर में हुई थी। गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थिपना की थी, मृत्यु के समय नानक देव जी का बहुत से अनुयायी थे। मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। जो बाद में गुरु अंगद देव के नाम से जाने गए।