हिन्दू धर्म में तुलसी का धार्मिक और आयुर्वेद में विशेष महत्व हैं। क्योंकि तुलसी को हिन्दू धर्म में पूजा जाता है, इसलिए तुलसी के पत्ते तोड़ते समय कुछ विशेष मंत्र का उचारण करना चाहिए। इसे हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा माना जाता है। तुलसी के पत्तों को तोड़ने के लिए विशेष मंत्रों का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें पढ़कर प्राणी किसी भी भूल या पाप से मुक्त होता है और उन्हें धार्मिक ध्यान में ले जाता है।
तुलसी के पत्ते तोड़ने हेतु मंत्र है,
"ॐ श्री तुलस्यै नमः।"
इस मंत्र का अर्थ है, "हे श्री तुलसी, मैं आपको नमस्कार करता हूं।"
"ॐ सुभद्राय नम:, मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी,
नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।।"
अर्थ है: "हे सुभद्रा को मेरा नमन, हे माता तुलसी, जो गोविंद के हृदय के आनंद का कारण हैं, मैं आपको नारायण की पूजा के लिए चुनता हूं, आपका मेरा नमन है।"
यह मंत्र तुलसी माता को समर्पित है और उनकी कृपा का आशीर्वाद लेने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे पढ़कर हम अपने धार्मिक अदार्शों को और ध्यान को स्थापित करते हैं और तुलसी के पत्तों को हमारे धार्मिक आचरण का हिस्सा बनाते हैं। यह मंत्र हमें शुभकामनाओं की भावना और तुलसी की पूजा की भावना से युक्त करता है।
तुलसी के पत्ते तोड़ने हेतु मंत्र का उच्चारण करते समय, हमें सम्मान और श्रद्धा के साथ काम करना चाहिए। यह हमें धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा और सन्मान के प्रति अवगत कराता है। तुलसी का यह परंपरागत अनुष्ठान हमें प्राकृतिक चिकित्सा और आध्यात्मिक उपासना के महत्व को समझाता है।
रविवार के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। रविवार के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने से महा पाप लगता है।