ज्योतिसर हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में स्थित एक कस्बा है। यह एक हिन्दू तीर्थ है जो कुरुक्षेत्र-पहोवा मार्ग पर थानेसर से पाँच किमी पश्चिम में स्थित है। माना जाता है कि यहीं पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
यहाँ एक बरगद का वृक्ष है जिसके बारे में मान्यता है कि इसी वट वृक्ष के नीचे कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था और यहीं अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया था।
ज्योति का अर्थ ‘प्रकाश‘ तथा ‘सर‘ का अर्थ ‘तालाब‘ व ‘सरोवर‘ अर्थात् ज्ञान रूपी प्रकाश का सरोवर। महाभारत में वर्णित कौरवों-पांडवों का धर्मयुद्ध इसी स्थान से प्रारम्भ हुआ था। लौकिक मान्यता के अनुसार ज्योतिसर वह भूमि है जहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के प्रारम्भ होने से पूर्व विषाद एवं मोहग्रस्त अर्जुन को गीता का दिव्य सन्देश देकर उसे उसके कत्र्तव्य की ओर प्रेरित किया था। इस समय इसके तट पर अक्षय वट स्थित है। समीप में ही श्वेत संगरमरमर से निर्मित कृष्ण-अर्जुन का रथ सुशोभित है। लोक-प्रचालित मान्यता के अनुसार इसी पावन भूति पर आदि शंकराचार्य जी ने श्रीमद्भगवद्गीता दर्शन का मनन एवं चिन्तन किया था। सर्वप्रथम 150 वर्ष पूर्व कश्मीर के महाराजा ने यहां एक शिव मंदिर का निर्माण करवाया था। तत्पश्चात् दरभंगा के महाराजा ने 1924 ई0 में अक्षयवट के चारों ओर एक पक्के चबूतरे का निर्माण करवाया। सन 1967 ई0 में कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जी के प्रयासों से कृष्ण-अर्जुन रथ तथा शकराचार्य जी के मंदिर का निर्माण हुआ।
प्रत्येक वर्ष गीता जयन्ती जोकि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है, के दौरान यहां अनके धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस तीर्थ पर इस अवसर पर यज्ञ, हवन आदि सम्पन्न होते है।