कुरुक्षेत्र एक शहर है जो कि भारत के हरियाण राज्य में स्थित है। कुरुक्षेत्र हिन्दूओं का धार्मिक व पवित्र स्थान है। कुरुक्षेत्र को ‘धर्म क्षेत्र’ के नाम से भी जाना जाता है। भगवद गीता में प्रथम प्रसंग में भी कुरुक्षेत्र का को ‘धर्म क्षेत्र’ के रुप में वर्णन किया गया है।
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किम् अकुर्वत संजय।।
कुरुक्षेत्र के बारे में हिन्दूओं के पवित्र वेद और पुराणों में वर्णन किया गया है। महाभारत का युद्ध भी कुरुक्षेत्र में ही लड़ा गया था, इसलिए कुरुक्षेत्र को महाभारत के युद्ध का क्षेत्र भी कहा जाता है। कुरुक्षेत्र को पवित्र स्थान इसलिए कहा जाता है क्योकि भगवान श्रीकृष्ण ने मानव जाति के कल्याण के लिए भगवाद गीता का उपदेश कुरुक्षेत्र में ही दिया गया था। जब कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध शुरू होने वाला था तो पांडव पुत्र अर्जुन ने युद्ध करने के मना कर दिया था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवाद गीता के उपदेश का प्रवचन दिया और युद्ध करने के लिए तैयार कर लिया। इस स्थान पर महाभारत के युद्ध के अलावा कई ऐतिहासिक युद्ध भी हुये है।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार कुरुक्षेत्र 48 कोस के सर्किट में अर्थात् कुरुक्षेत्र के चारों ओर का घेरा है, जिसमें पवित्र स्थान, मंदिर, धार्मिक आयोजनों और कौरवों व पांडवों से जुड़े पवित्र स्थान शामिल है। इसकि परिक्रमा करने का मतलब इन सभी तीर्थ स्थानों की परिक्रमा करना है।
कुरुक्षेत्र को शाकाहारी शहर से भी जाना जाता है। धार्मिक महत्व के कारण 2012 में हरियाणा राज्य सरकार ने कुरुक्षेत्र नगर निगम की सीमा में मांस की बिक्री व खपत पर प्रतिबंध लगा दिया था।
कुरुक्षेत्र का महत्व
महाभारत के अनुसार, भरतवंश के राजा कुरु जो कि कौरवों और पांडवों के पूर्वज थे, ने जिस भूमि को बार-बार जोता, वह स्थान कुरुक्षेत्र कहलाया गया था। ऐसा माना जाता है कि जब राजा कुरु इस क्षेत्र की जुताई कर रहे थे तब इन्द्र ने उनसे जाकर इसका कारण पूछा। कुरु ने कहा कि जो भी व्यक्ति इस स्थान पर मारा जाए, वह पुण्य लोक में जाए, ऐसी मेरी इच्छा है। इन्द्र उनकी बात को हंसी में उड़ाते हुए स्वर्गलोक चले गए। ऐसा अनेक बार हुआ। इन्द्र ने अन्य देवताओं को भी ये बात बताई। देवताओं ने इन्द्र से कहा कि यदि संभव हो तो कुरु को अपने पक्ष में कर लो। तब इन्द्र ने कुरु के पास जाकर कहा कि कोई भी पशु, पक्षी या मनुष्य निराहार रहकर या युद्ध करके इस स्थान पर मारा जायेगा तो वह स्वर्ग का भागी होगा। ये बात भीष्म, कृष्ण आदि सभी जानते थे, इसलिए महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया।