करवा चौथ 2025

महत्वपूर्ण जानकारी

  • करवा चौथ 2025
  • शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025
  • करवा चौथ पूजा मुहूर्त: शाम 05:57 बजे से शाम 07:11 बजे तक
  • करवा चौथ व्रत का समय: सुबह 06:19 बजे से शाम 08:13 बजे तक
  • करवा चौथ के दिन चंद्रोदय: रात 08:13 बजे
  • चतुर्थी तिथि प्रारंभ - 09 अक्टूबर 2024 को रात्रि 10:54 बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त - 10 अक्टूबर 2024 को रात्रि 07:38 बजे
  • आरंभ: कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष का चौथा दिन

करवा चौथ का  त्यौहार विवाहित महिला के जीवन में बहुत ही खास दिन माना जाता है। यह एक दिन का त्योहार है जिसमें विवाहित महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक बहुत उत्साह और उल्लास के साथ उपवास करती हैं। यह दिन हिंदू कैलेंडर में कार्तिक महीने के चौथे दिन, अक्टूबर या नवंबर के महीने में दिवाली से नौ दिन पहले पड़ता है। इस दिन, विवाहित महिलाएं विशेष रूप से देवी गौरी (पार्वती) से अपने पति की सलामती, समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना करती हैं।

करवा चौथ की तैयारियां पहले से अच्छी तरह से शुरू हो जाती हैं। इस खास मौके के लिए महिलाएं खास गहने और कपड़े खरीदती हैं। इस दिन, विवाहित महिलाएं सूर्योदय से पहले सुबह जल्दी उठती हैं और अपने पति की दीर्घायु और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं। वे फिर सरगी के रूप में एक विशेष भोजन लेते हैं, जिसमें अनाज, मिठाई और फल होते हैं, जो आम तौर पर महिलाओं की सास द्वारा दिया जाता है।

उनका उपवास सूर्योदय से शुरू होता है। इस विशेष अवसर पर, महिलाएँ खूबसूरत पारंपरिक पोशाक जैसे साड़ी, लहंगा, सलवार-कमीज आदि पहनती हैं। वे चूड़ियाँ, माथे पर बिंदी और अपने हाथों को मेहंदी से सजाती हैं। चन्द्रोदय तक पूरे दिन उपवास जारी रहता है।

शाम को, विवाहित महिलाएं किसी सामान्य स्थान या मंदिर में इकट्ठा होती हैं, जहां करवा पूजा होती है। वे एक चक्र बनाते हैं और चंदन, कुमकुम, चावल, पानी के बर्तन और मिट्टी के दीपक से भरी थाली या थाली ले जाते हैं। देवी गौरी की एक मूर्ति और एक मिट्टी के घड़े को उस घेरे के केंद्र में रखा गया है जहाँ महिलाओं को बैठाया जाता है। पूजा के दौरान, बुजुर्ग करवा चौथ की कहानी सुनाते हैं और महिलाएँ करवा चौथ से संबंधित गीत गाती हैं। पूजा समारोह के बाद, वे अपने घर लौट जाते हैं और चाँद के उठने का इंतज़ार करने लगते हैं।

जब चंद्रमा दिखाई देता है, तो महिलाएं छलनी के माध्यम से चंद्रमा को देखती हैं और चंद्रमा की पूजा करती हैं। वे फिर उसी छलनी से अपने पति को देखती हैं और उसके लंबे जीवन की प्रार्थना करती हैं। फिर पति उसे व्रत तोड़ने के लिए पानी और मिठाई देता है। इसके बाद रात के खाने के बाद।

करवा चौथ व्रत का आरंभ और इसका महत्व

करवा चौथ का व्रत भारतीय परंपरा और संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है, विशेषकर उत्तर भारत में। यह व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत के पीछे कई पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ हैं, जिनमें से प्रमुख कुछ इस प्रकार हैं।

करवा चौथ का पौराणिक महत्व

करवा चौथ व्रत की शुरुआत से जुड़ी एक प्रमुख कथा है, जो देवताओं और राक्षसों के बीच हुए युद्ध से संबंधित है। कथा के अनुसार, एक समय देवताओं और राक्षसों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ा था। देवता युद्ध में लगातार पराजित हो रहे थे, और राक्षस उन पर भारी पड़ रहे थे। देवताओं के सभी प्रयास विफल हो रहे थे और वे संकट में थे। तब ब्रह्मदेव ने देवताओं की पत्नियों को सलाह दी कि वे अपने पतियों की सुरक्षा और विजय के लिए करवा चौथ का व्रत करें।

ब्रह्मदेव ने बताया कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से देवताओं को युद्ध में सफलता मिलेगी। इस सलाह पर देवताओं की पत्नियों ने कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत रखा और अपने पतियों की विजय की कामना की। व्रत की शक्तियों के कारण देवताओं ने युद्ध में विजय प्राप्त की। कहा जाता है कि तभी से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा शुरू हुई, और महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु के लिए इस व्रत को करती आ रही हैं।

देवी पार्वती द्वारा पहला व्रत

करवा चौथ की एक अन्य मान्यता के अनुसार, सबसे पहले इस व्रत को देवी पार्वती ने भगवान शिव के लिए किया था। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस व्रत को विधिपूर्वक किया। उनकी भक्ति और तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी पार्वती को अखंड सौभाग्य का वरदान दिया। इसीलिए करवा चौथ के दिन महिलाएँ विशेष रूप से शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और देवी पार्वती से अपने पति के लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं।

करवा चौथ की अन्य लोककथाएँ

करवा चौथ की एक और लोकप्रिय कथा 'वीरवती' से संबंधित है। वीरवती एक सुंदर रानी थी, जिसने अपने पति की लंबी उम्र के लिए पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा था। लेकिन भूख और प्यास से व्याकुल होकर वह बेहोश हो गई। तब उसके भाइयों ने उसे यह कहते हुए चाँद दिखा दिया कि चाँद निकल आया है। वीरवती ने व्रत तोड़ दिया, लेकिन इस छल के कारण उसका पति मृत्यु को प्राप्त हो गया। इसके बाद वीरवती ने पूरे श्रद्धा-भाव से करवा चौथ का व्रत दोबारा किया, जिससे उसके पति को पुनः जीवन मिला। इस कथा से करवा चौथ व्रत के महत्व और श्रद्धा की महत्ता का पता चलता है।

करवा चौथ का आज का महत्व

करवा चौथ केवल एक धार्मिक व्रत नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक भी है। इस दिन विवाहित महिलाएँ सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चाँद को देखकर और उसे अर्घ्य देकर ही व्रत तोड़ती हैं।

आज के समय में, करवा चौथ का व्रत न केवल पारंपरिक रूप से बल्कि आधुनिक समाज में भी बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत बनाता है और उनके प्रेम और समर्पण को बढ़ाता है। इस दिन महिलाएँ विशेष रूप से सजती-संवरती हैं, और अपने पति के लिए पूजा-पाठ करती हैं।

करवा चौथ व्रतकथा :

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है|यह स्त्रियों का मुख्य त्यौहार है| सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं|

एक साहुकार के सात लडके और एक लडकी थी । सेठानी केसहित उसकी बहुओ और बेटी  ने करवा चौथ का व्रत रखा था । रात्रि का साहुकार के लडके भोजन करने लगे तो उन्होने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा। इस पर बहन ने उत्तर दिया- भाई! अभी चाँद नही निकला है । उसके निकलने पर अर्ध्य देकर भोजन करूँगी। बहन की बात सुनकर भाइयो ने क्या काम किया कि नगर मे बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी से जाकर उसमे से प्रकाश दिखाते हुए उन्होने बहन से कहा- बहन! चाँद निकल आया है, अर्ध्य देकर भोजन जीम लो । यह सुन उसने अपनी भाभियो से कहा कि आओ तुम भी चन्द्रमा के अर्ध्य दे लो परन्तु वे इस काण्ड को जानती थी उन्होने कहा कि बहन! अभी चाँद नही निकला, तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे है भाभियो की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान नही दिया और भाइयो द्वारा दिखाए प्रकाश को ही अर्ध्य देकर भोजन कर लिया । अधिक पढ़ें




अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


2025 में करवा चौथ कब है?

करवा चौथ का पर्व शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 है।


2025 करवा चौथ पूजन का मुहूर्त कब है?

करवा चौथ शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को सुबह 06:19 बजे आरंभ होगा और रात 08:13 बजे तक रहेगा। इस दिन चंद्रोदय का समय रात 08:13 बजे है।


करवा चौथ का व्रत क्यों रखा जाता है?

विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और समृद्धि के लिए व्रत करती हैं।


करवा चौथ के दिन किसकी पूजा होती है?

भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. महिलाएं चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं।


करवा चौथ 2025 पर चंद्रउदय का समय क्या है?

करवा चौथ 2025 पर चंद्रोदय का समय 08:13 बजे है।





2024 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार












ENहिं