आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥
अर्थ: जब भी मैं समस्याओं में डूबता हूँ, मैं तुम्हारी स्मरण करता हूँ। यह मेरी सच्ची भावना है, कोई झूठ नहीं।
क्योंकि, अगर कोई लड़का भूखा और प्यासा हो, तो वह अपनी माता का ही स्मरण करता है।