शं नो मित्रः शं - श्लोक

ॐ शं नो मित्रः शं वरुणः ।
शं नो भवत्वर्यमा ।
शं नो इन्द्रो बृहस्पतिः ।
शं नो विष्णुरुरुक्रमः ।

नमो ब्रह्मणे ।
नमस्ते वायो ।
त्वमेव प्रत्यक्षं ब्रह्मासि ।
त्वामेव प्रत्यक्षं ब्रह्म वदिष्यामि ।

ॠतं वदिष्यामि ।
सत्यं वदिष्यामि ।
तन्मामवतु ।
तद्वक्तारमवतु ।

अवतु माम् ।
अवतु वक्तारम् ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

आपके द्वारा प्रदान किया गया श्लोक एक वैदिक मंत्र है जिसे "शांति मंत्र" के नाम से जाना जाता है। इसे अक्सर वैदिक अनुष्ठानों और प्रार्थनाओं की शुरुआत या अंत में, साथ ही अन्य आध्यात्मिक अवसरों के दौरान भी पढ़ा जाता है।

यहाँ अनुवाद है:

ओम, मित्रा हमारे लिए शुभ हो,
वरुण हमारे लिए शुभ हो,
आर्यमन हमारे लिए कल्याणकारी हो,
इंद्र और बृहस्पति हम पर कृपालु रहें,
ब्राह्मण को नमस्कार,
वायु को नमस्कार है,
तुम्हें ही मैं प्रत्यक्ष ब्रह्म को बुलाऊंगा,
मैं वास्तव में आपको दृश्यमान ब्रह्म के रूप में घोषित करूंगा,
मैं तुझे धार्मिकता घोषित करूंगा,
मैं तुम्हें सत्य कहूंगा,
वह मेरी रक्षा करें,
वह वक्ता की रक्षा करे,
वह मेरी रक्षा करें,
वह गुरु की रक्षा करें.
ओम, शांति, शांति, शांति।

यह मंत्र शांति, सद्भाव और सुरक्षा के लिए प्रार्थना है। यह विभिन्न वैदिक देवताओं के आशीर्वाद का आह्वान करता है और सत्य और धार्मिकता के महत्व पर जोर देता है। शुरुआत में दोहराया गया "ओम" और अंत में "शांति" आंतरिक और बाहरी शांति की इच्छा को दर्शाता है।



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