शिवलिंग भगवान शिव की रचनात्मक और विनाशकारी दोनों ही शक्तियों को प्रदर्शित करता है। शिवलिंग का अर्थ होता है ‘सृजन ज्योति’ यानी भगवान शिव का आदि-अनादि स्वरुप। सूर्य, आकाश, ब्रह्माण्ड तथा निराकार महापुरुष का प्रतीक होने का कारण ही यह वेदानुसार ज्योतिलिंग यानी व्यापक ब्रह्मात्मलिंग जिसका अर्थ है ‘व्यापक प्रकाश’। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिलिंग या ज्योति पिंड कहा गया है। शिवलिंग का आकार-प्रकार ब्रम्हांड में घूम रही आकाश गंगा के समान ही है। शिवलिंग - हमारे ब्रम्हांड में घूम रहे पिंडो का एक प्रतीक ही है।
शिवलिंग भगवान शिव की निराकार सर्वव्यापी वास्तविकता को दर्शाता है। भगवान शिव का प्रतीक शिवलिंग - सर्वशक्तिमान निराकार प्रभु की याद दिलाता है।
शैव सिद्धांत जो शैव संप्रदाय की प्रमुख परम्पराओं में से एक है उसमें भगवान शिव की 3 परिपूर्णताएँः परशिव, पराशक्ति और परमेश्वर बताई गई हैं।
परशिव में भगवान शिव को निराकार शाश्वत और असीम बताया जाता है। पराशक्ति में भगवान शिव को सर्वव्यापी, शुद्ध चेतना, शक्ति और मौलिक पदार्थ के रूप में मौजूद है। पराशक्ति परिपूर्णता में भगवान शिव का आकार है परन्तु परशिव परिपूर्णता में वे निराकार हैं। परमेश्वर का शाब्दिक अर्थ ‘परम ईश्वर’ है। संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति का मूल कारण परमेश्वर अर्थात ईश्वर है।
संस्कृत में, लिंगम का अर्थ "चिह्न" या एक प्रतीक है, जो एक अनुमान की ओर इशारा करता है। इस प्रकार शिव लिंग भगवान शिव का प्रतीक है: एक निशान जो सर्वशक्तिमान भगवान की याद दिलाता है, जो निराकार है।