शिव द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्

सौराष्ट्रे सोमनाथं च
श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं
ओम्कारममलेश्वरम्॥

सौराष्ट्र प्रदेश (काठियावाड़) में श्री सोमनाथ,
श्रीशैल पर श्री मल्लिकार्जुन,
उज्जयिनी में श्री महाकाल,
ओंकारेश्वर अमलेश्वर (अमरेश्वर)
परल्यां वैद्यनाथं च
डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं
नागेशं दारुकावने॥

परली में वैद्यनाथ,
डाकिनी नामक स्थान में श्रीभीमशंकर,
सेतुबंध पर श्री रामेश्वर,
दारुकावन में श्रीनागेश्वर
वाराणस्यां तु विश्वेशं
त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं
घुश्मेशं च शिवालये॥

वाराणसी (काशी) में श्री विश्वनाथ,
गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर,
हिमालय पर श्रीकेदारनाथ और
शिवालय में श्री घृष्णेश्वर, को स्मरण करें।
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि
सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं
स्मरणेन विनश्यति॥

जो मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल और संध्या समय इन बारह ज्योतिर्लिंगों का नाम लेता है, उसके सात जन्मों के पाप इन लिंगों के स्मरण-मात्र से मिट जाते है।

एतेशां दर्शनादेव पातकं नैव तिष्ठति।
कर्मक्षयो भवेत्तस्य यस्य तुष्टो महेश्वराः॥










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