पौन्टा साहिब गुरुद्वारा हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले पौन्टा साहिब, यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह गुरुद्वारा सिखों का एक पवित्र व धार्मिक स्थान है और सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हिमाचाल प्रदेश के इस शहर को दशवें सिख गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह द्वारा स्थापित किया गया था। इस जगह का नाम पहले ‘पाओंटिका’ था। ‘पौंटा’ शब्द का अर्थ होता है - ‘पैर’, इस जगह का नाम इसके अर्थ के अनुसार सर्वश्रेष्ठ महत्व रखता हैं। ऐसा माना जाता है कि सिख गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी अपने घोडे से जा रहे थे तथा इसी स्थान पर पहुँच कर उनके घोडे अपने आप रुक गए थे। तो गुरु गोबिन्द सिंह जी ने इसलिए ‘पाओं’ और ‘टीके’ को मिलाकर ‘पौन्टा’ नाम दिया गया था। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने इसी स्थान पर गुरुद्वारा स्थिापित किया था और यहीं पर अपने जीवन के साढ़े 4 साल तक गुजरे थे।
इसी कारण से यह गुरुद्वारा दुनिया भर में सिख धर्म के अनुयायियों के बीच एक बहुत ही उच्च ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है. इस गुरुद्वारे के धार्मिक महत्व का एक उदाहरण है यहाँ पर रखी हुई ‘पालकी’ जो कि शुद्ध सोने से बनी है और किसी एक भक्त ने ये यहाँ दानस्वरुप बनवाई थी।
ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर श्री गोबिन्द जी ने दसम धर्मगं्रथ की रचना की थी, लोक कथाओं के अनुसार पास में बहती यमुना नदी बहुत शोर के साथ बहती थी तब गुरु के अनुरोध पर यमुना नदी शांति से बहने लगी जिससे वे पास बैठकर दसम् ग्रंथ लिख सके। तब से यहां पर यमुना नदी शांति से इस क्षेत्र में बहती आ रही है।
श्री तलब स्थान और श्री दस्तर स्थान इस गुरुद्वारे के अन्दर दो महत्त्वपूर्ण स्थान हैं। श्री तलब स्थान पर गुरू द्वारा वेतन बांटा जाता था और श्री दस्तर स्थान में पगड़ी बांधने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
गुरुद्वारे के परिवेश में एक संग्रहालय है जहां पर उस समय के हथियार और गुरु जी की कलम संरक्षित रखी गई है। गुरुद्वारे से एक पौराणिक मंदिर भी जुड़ा हुआ है जो कि यमुना देवी को समर्पित है। गुरुद्वारे के समीप कवि दरबार है जो कविताओं की प्रतियोगिता के लिए इस्तेमाल में आता है।