कहत सुनत सब दिन गए, उरझी न सुरझ्या मन। कहि कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन॥
अर्थ: कहते सुनते सब दिन बीत गए, पर यह मन उलझ कर न सुलझ पाया ! कबीर कहते हैं कि यह मन अभी भी होश में नहीं आता. आज भी इसकी अवस्था पहले दिन के ही समान है.
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