भगवद गीता अध्याय 7, श्लोक 2

यह श्लोक भगवद गीता, अध्याय 7, श्लोक 2 से है। यह संस्कृत में लिखा गया है और हिंदी में इसका अनुवाद इस प्रकार है:

ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषत: |
यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते ||2||

हिंदी अनुवाद है:

"मैं तुम्हें यह संपूर्ण ज्ञान और उसके साथ विशिष्ट विज्ञान बताऊंगा, जिसे जान लेने के बाद इस संसार में कुछ भी जानने योग्य शेष नहीं रहेगा।"

व्याख्या विस्तार से:

इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को परम ज्ञान और उसके विशेष स्वरूप का महत्व समझा रहे हैं। वे कहते हैं कि वे अर्जुन को न केवल सैद्धांतिक ज्ञान (ज्ञान) बल्कि उसके व्यावहारिक अनुभव (विज्ञान) सहित संपूर्ण रूप से ज्ञान प्रदान करेंगे।

संस्कृत शब्द का हिंदी में अर्थ:

  • ज्ञानं - आध्यात्मिक ज्ञान, तत्वज्ञान।
  • ते - तुम्हें।
  • अहं - मैं (भगवान श्रीकृष्ण)।
  • सविज्ञानम् - अनुभव सहित ज्ञान, व्यवहारिक ज्ञान।
  • इदं - यह (ज्ञान और विज्ञान)।
  • वक्ष्यामि - मैं कहूंगा, समझाऊंगा।
  • अशेषतः - संपूर्ण रूप से, बिना किसी शेष के।
  • यत् - जिसे।
  • ज्ञात्वा - जान लेने के बाद।
  • - नहीं।
  • इह - इस संसार में।
  • भूय: - पुनः, दोबारा।
  • अन्यत् - अन्य, कुछ और।
  • ज्ञातव्यम् - जानने योग्य।
  • अवशिष्यते - शेष रह जाएगा।

अध्याय 7

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