उत्तरा स्वामीमलाई मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Location: Sector 7, RK Puram in South-West Delhi.
  • Summer timing : 1st March to 30th November 
  • 6.30 am to 12.00 pm and 5.00 pm to 9.00 pm.
  • Winter timing: 1st December to 28th Feburary
  • 7.00 am to 12.00 pm and 4.00 pm to 8.00 pm.
  • Nearest Metro Station : 3 kms away from Dhaula Kuan Metro Station.

उत्तरा स्वामी मंदिर मलाई मंदिर के रूप से जाना जाता है तथा यह मंदिर दिल्ली के मुख्य मंदिरों की सूची में आता है। यह मंदिर एक हिन्दू मंदिर परिसर है जो भगवान स्वामिनाथ को समर्पित है, आम तौर पर स्वामिनाथ को भगवान मुरुगन के रूप में जाने जाते है। यह मंदिर आर. के. पुरुम सेक्टर-7, नई दिल्ली में स्थित है। इस मंदिर में अधिकतर तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ समुदाय के लोग पूजा व दर्शन के लिए आते है।

मलाई मंदिर जो एक पहाड़ी पर बनाया गया है, भगवान मुरुगन के मंदिरो को बनाने की पंरपरा के अनुरूप है। मंदिर के मुख्य परिसर के बाहर साईन बाॅड पर स्वामिनाथ का एक तमिल में आर्दश वाक्य लिखा है ‘ Yaamirukka Bayamain‘ जिसका अर्थ है ‘किसका डर है मैं वहा हुँ‘।

मंदिर के लिए निर्माण के नींव का पत्थर 8 सितंबर 1965 को श्री लाल बहादुर शास्त्री जो कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री थे उनकी अध्यक्षता में आयोजित एक समारोह में श्री मीनजोर भक्तवस्तस्लम जो कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे, के द्वारा रखी गई थी।

मलाई मंदिर ग्रेनाईट पत्थर से बनाया गया है तथा मंदिर परिसर चोला शैली के अनुरूप बनाया गया है जिसमें दक्षिण भारतीय वस्तुकला की झलक आती है। इस मंदिर मंदिर कि सभी मुख्य मुर्तिया काले ग्रेनाईट पत्थर से बनायी गई है। मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही बायें तरफ भगवान श्री करपगा विनेगर, देवी मीनाक्षी और श्री सुदरेश्वर मंदिर परिसर है जो कि स्वामिनाथ के बडे भाई ,माता और पिता थे। इस मंदिर की सभी दीवारों और छतों पर बहुत ही अद्भुत कला का परिदर्शन किया गया है। देवी मीनाक्षी की मूर्ति बहुत सी सुन्दर और अद्भुत है। माता और पिता के मंदिर के दायिनें तरफ नाव ग्रह मंदिर है जहां पर सभी नौ हिन्दू ग्रह देवाओं की सुन्दर मूतियां है और भगवान शनि देव की भव्य मूति भी है।

मलाई मंदिर के परिसर में प्रवेश से सीधे कुछ सीढ़ियां चढकर एक हाल है जिसका नाम आदि स्वामी हाॅल है। हाॅल के बायी तरफ सीढ़ियां चढते ही दायीं तरफ नाग की प्रतिमा है जो भगवान नाग देवता के एक रूप को दर्शया गया है और उपर सीढ़िया चढ़कर भगवान स्वामिनाथ मंदिर है यहा इस मंदिर का मुख्य मंदिर परिसर है, यह बहुत सी सुन्दर और आकर्षित है इस मंदिर के दीवारों पर देवी देवताओं की प्रतिमा बनायी गई और मंदिर के खंभों पर बहुत ही सुन्दर दक्षिण भारतीय कला का अद्भुत प्रदर्शन किया गया है।
मलाई स्वामिनाथ मंदिर से दर्शनों के लिए आदमीओं को मंदिर की प्रतिमा के बायें तरफ और औरतों के लिए मंदिर की प्रतिमा के दायीं तरफ स्थान बनाया गया है। और यही प्रक्रिया पूरे मंदिर परिसर में लागू है।

इस मंदिर परिसर के प्रवेश करते ही दायीं तरफ एक स्थान बनाया गया है जहां समय समय पर रंगा-रंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

मुदरै तमिलनाडु में एतिहासिक मंदिर मीनाक्षी अम्मन मंदिर है उस मंदिर के वास्तुकला पंड्या शैली से प्ररेणा लेकर इस मंदिर का निर्माण किया है ऐसा माना जाता है।

हिन्दू धर्म में मोर को भगवान स्वामिनाथ का वाहन माना जाता है इसलिए मंदिर में मोरों को पाला जाता है तथा उनकी उपस्थिति को मंदिर में देखा व सुना जा सकता है। यह मंदिर बहुत ही सुन्दर है तथा मंदिर में दक्षिण भारत की झलक दिखाई देती है।










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