श्री कार्तिकेय स्तोत्रम् के पाठ करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है और नियमित रुप से करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। यदि कोई व्यक्ति लम्बे समय से बीमार हो तो उसे श्री कार्तिकेय स्तोत्रम् का पाठ करने पर रोगों से मुक्ति मिल सकती है और साथ किसी भी प्रकार के भय से मुक्त हो जायेगा।
॥ स्कंद उवाच ॥
योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।
स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥१॥
गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।
तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥२॥
शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥३॥
शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।
सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥४॥
अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥५॥
महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥६॥