thedivineindia.com | Updated UTC time: 2020-06-01 06:57:22
कबीर रेख सिन्दूर की काजल दिया न जाई। नैनूं रमैया रमि रहा दूजा कहाँ समाई ॥
अर्थ: कबीर कहते हैं कि जहां सिन्दूर की रेखा है – वहां काजल नहीं दिया जा सकता. जब नेत्रों में राम विराज रहे हैं तो वहां कोई अन्य कैसे निवास कर सकता है ?