भानु सप्तमी 2026 - सूर्य देव की महिमा का पर्व
thedivineindia.com | Updated UTC time: 2025-01-23 23:30:26
महत्वपूर्ण जानकारी
- भानु सप्तमी 2026
- रविवार, 08 फरवरी 2026
- सप्तमी प्रारंभ: 08 फरवरी 2026 प्रातः 02:54 बजे
- सप्तमी समाप्त: 09 फरवरी 2026 को प्रातः 05:01 बजे
भानु सप्तमी को सूर्य सप्तमी, माघी सप्तमी, अचला सप्तमी, सूर्य जयंती और रथ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इसे सूर्य जयंती कहा जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इसी दिन सूर्य देव ने अपने प्रकाश से संसार को आलोकित किया था। इस दिन भक्त भगवान सूर्य को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो सूर्य की उपासना करते हैं, क्योंकि यह उन्हें धन, दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन शक्ति प्रदान करता है।
भानु सप्तमी का महत्व
- आध्यात्मिक लाभ:
इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से शारीरिक और मानसिक बीमारियों से मुक्ति मिलती है। - पापों का नाश:
ऐसा माना जाता है कि यह पर्व पिछले और वर्तमान जीवन के पापों को कम करता है। - आयु और स्वास्थ्य:
सूर्य देव की आराधना करने से आरोग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। - सूर्य की ऊर्जा का प्रतीक:
बढ़ते चंद्रमा का यह सातवां दिन सूर्य देव को समर्पित है, जो जीवन ऊर्जा के स्रोत हैं।
भानु सप्तमी के अनुष्ठान
प्रातः स्नान:
भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान के समय इक्सोरा कैलोट्रोपिस (आर्क के फूल) और हल्दी चावल को सिर पर रखकर स्नान करने की परंपरा है।
सूर्य पूजा:
- महिलाएं घर के आंगन में रंग-बिरंगी रंगोली बनाकर सूर्य की शुभ किरणों का स्वागत करती हैं।
- सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को जल चढ़ाया जाता है।
- "ओम घ्राणि सूर्याय नमः" और "ओम सूर्याय नमः" मंत्रों का जाप किया जाता है।
भोग और दान:
- सूर्य देव को प्रसाद, फूल और जल अर्पित किया जाता है।
- मिट्टी के बर्तन में दूध उबालकर सूर्य की दिशा में रखा जाता है, जो सूर्य तक ऊर्जा पहुँचाने का प्रतीक है।
- बारह अनाज और गेहूं की खीर बनाकर ब्राह्मणों को दान दी जाती है।
भानु सप्तमी की कथा
भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव पवित्र कमल से घिरे हुए स्वर्ण रथ पर सवार होकर धरती पर आए थे। उनके रथ को सात घोड़े खींचते हैं, जो सूर्य की सात किरणों का प्रतीक हैं। उनके सारथी अरुण ने धरती को सूर्य की तीव्र गर्मी से बचाया।
सृष्टि की शुरुआत:
छांदोग्य उपनिषद के अनुसार, ब्रह्मांडीय अंडा विभाजित होकर धरती और आकाश बना। सूर्य देव के प्रकाश ने पृथ्वी पर जीवन आरंभ किया, और इस दिन को उनका जन्मदिन माना जाता है।
भानु सप्तमी व्रत के नियम
- सख्त उपवास:
- पूरे दिन पानी और भोजन का त्याग करें।
- उपवास में फल, दूध या पानी का सेवन किया जा सकता है।
- व्रत तोड़ने के बाद नमक न खाएं।
- दान और सेवा:
- गरीबों को भोजन, कपड़े और फल दान करें।
- गंगा स्नान करने से पवित्रता प्राप्त होती है।
भानु सप्तमी का महत्व और लाभ
- बीमारियों से मुक्ति:
सूर्योदय से पहले स्नान करने और सूर्य को अर्घ्य देने से रोग दूर रहते हैं। - अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि:
सूर्य की पूजा करने से मानसिक तनाव कम होता है और आर्थिक प्रगति होती है। - पारिवारिक संबंध:
सूर्य देव पिता-पुत्र के संबंधों को सुधारते हैं। - पुनर्जन्म का प्रभाव:
भानु सप्तमी की पूजा करने वाली महिलाएं अपने अगले जन्म में विधवा नहीं होतीं।
भानु सप्तमी भगवान सूर्य की उपासना का एक पवित्र पर्व है, जो स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि सूर्य ऊर्जा, जीवन और सकारात्मकता का स्रोत है। इस शुभ अवसर पर भगवान सूर्य की पूजा करके न केवल हम अपने जीवन को पवित्र बना सकते हैं, बल्कि पापों से मुक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति भी कर सकते हैं।
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