कूर्म स्तोत्रम्

॥ देवा ऊचुः ॥

नमाम ते देव पदारविंदं प्रपन्नतापोपशमातपत्रम् ॥
यन्मूलकेता यततोऽञ्जसोरु संसारदुःखबहिरुत्क्षिपंति ॥

धातर्यदस्मिन्भव ईश जीवास्तापत्रयेणोपहता न शर्म ।
आत्मँल्लभंते भगवंस्तवांघ्रिच्छायां सविद्यामत आश्रयेम ॥

मार्गंति यत्ते मुखपद्मनीडैश्छंदः सुपर्णैऋर्षयो विविक्ते ।
यस्याघमर्षोदसरिद्वरायाः पदं पदं तीर्थपदं प्रपन्ना ॥

यच्छ्रद्धया श्रुतवत्या च भक्त्या संमृज्यमाने ह्रदयेऽवधार्य ।
ज्ञानेन वैराग्यबलेन धीरा व्रजेम तत्तेऽङघ्रिसरोजपीठम् ॥

विश्वस्य जन्मस्थितिसंयमार्थे कृतावतारस्य पदांबुजं ते ।
व्रजेम सर्वे शरणं यदीश स्मृतं प्रयच्छत्यभयं स्वपुंसाम् ॥

यत्सानुबंधेऽसति देहगेहे ममाहमित्यूढदुराग्रहाणाम् ।
पुंसां सुदूरं वसतोऽपि पुर्यां भजेम तत्ते भगवत्पदाब्जम् ॥

पानेन ते देव कथासुधायाः प्रवृद्धभक्त्या विशदाशया ये ।
वैराग्यसारं प्रतिलभ्य बोधं यथांजसान्वीयुरकुण्ठधिष्ण्यम् ॥

तथापरे चात्मसमाधियोगबलेन जित्वा प्रकृतिं बलिष्ठाम् ।
त्वामेव धीराः पुरुषं विशंति तेषां श्रमः स्यान्न तु सेवय ते ॥

तत्ते वयं लोकसिसृक्षयाऽद्य त्वयानुसष्टास्त्रिभिरात्मभिः स्म ।
सर्वे वियुक्ताः स्वविहारतंत्रं न शक्नुमस्तत्प्रतिहर्तवे ते ॥

यावद्बलिं तेऽज हराम काले यथा वयं चान्नमदाम यत्र ।
यथोभयेषां त इमे हि लोका बलिं हरन्तोऽन्नमदंत्यनहाः ॥

त्वं नः सुराणामसि सान्वयानां कूटस्थ आद्यः पुरुषः पुराणः ।
त्वं देवशक्त्यां गुणकर्मयोनौ रेतस्त्वजायां कविमादधेऽजः ॥

ततो वयं सत्प्रमुखा यदर्थे बभूविमात्मन् करवाम किं ते ।
त्वं नः स्वचक्षुः परिदेहि शक्त्या देवक्रियार्थे यदनुग्रहाणाम् ॥

|| इति श्रीमद्भागवतांतर्गतं कूर्मस्तोत्रं समाप्तम् ||

कूर्म स्तोत्रम भगवान कूर्म को समर्पित एक पवित्र भजन है, जो भगवान विष्णु का एक रूप है, जिन्होंने कछुए का अवतार लिया था। भगवान कूर्म का आशीर्वाद और सुरक्षा पाने के लिए भक्तों द्वारा इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है। इसका जप अक्सर भगवान विष्णु को समर्पित अनुष्ठानों, प्रार्थनाओं और ध्यान के दौरान या कठिनाई के समय मार्गदर्शन और सहायता मांगते समय किया जाता है।

कूर्म स्तोत्रम आम तौर पर भगवान कूर्म के दैवीय गुणों और महत्व की प्रशंसा करता है, जिसमें ब्रह्मांड के समुद्र मंथन (समुद्र मंथन) के दौरान ब्रह्मांड का समर्थन करने में उनकी भूमिका और ब्रह्मांड को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने की उनकी क्षमता पर प्रकाश डाला गया है। भक्त अपनी भक्ति व्यक्त करने, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने और अपने जीवन में भगवान कूर्म की दिव्य उपस्थिति और आशीर्वाद का आह्वान करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ करते हैं।

कई स्तोत्रों और भजनों की तरह, कूर्म स्तोत्रम के छंदों और अनुवादों में भिन्नता हो सकती है। भक्त अक्सर भगवान कूर्म और हिंदू धर्म की व्यापक आध्यात्मिक परंपरा के साथ अपने संबंध को गहरा करने के साधन के रूप में श्रद्धा और विश्वास के साथ इस स्तोत्र का जाप करते हैं।







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