रक्षा सूत्र मौली - बांधने के नियम, महत्व और अवसर

रक्षा सूत्र, जिसे आमतौर पर मौली के नाम से जाना जाता है, हिंदू अनुष्ठानों के दौरान सुरक्षा और शुभता का प्रतीक एक पवित्र धागा है। कलाई पर बांधने से यह नकारात्मक शक्तियों के खिलाफ ढाल का काम करता है और दैवीय आशीर्वाद का आह्वान करता है। रक्षा सूत्र बांधने की प्रथा त्योहारों, विशेषकर रक्षाबंधन के दौरान प्रचलित है। धागा, जो अक्सर चमकीला लाल या पीला होता है, पवित्रता और प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसा माना जाता है कि यह बुरे प्रभावों से बचाता है और सुरक्षा के बंधन को मजबूत करता है। मौली बांधने का कार्य सांस्कृतिक महत्व रखता है, पहनने वाले के जीवन में एकता, प्रेम और दैवीय सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देता है।

रक्षासूत्र का इतिहास

पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र है जिसके अनुसार भगवान विष्णु के वामनावतार ने भी राजा बलि के रक्षासूत्र बांधा था और उसके बाद ही उन्हें पाताल जाने का आदेश दिया था। आज भी रक्षासूत्र बांधते समय एक मंत्र बोला जाता है उसमें इसी घटना का जिक्र होता है।

मंत्र: यह संस्कृत श्लोक एक पारंपरिक मंत्र है जिसका उच्चारण रक्षा सूत्र मौली, सुरक्षा के लिए पहना जाने वाला एक पवित्र धागा, बांधते समय किया जाता है।

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥

अनुवाद:
"जिस रक्षा सूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र मैं तुम्हें बांधती हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा, हे रक्षा तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना।"

विद्वानों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत अपने यजमान को कहता है कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किए गये थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित एवं प्रयुक्त करना है।

बांधने के नियम:

मौली आमतौर पर लाल या पीले धागों से बनी होती है, जो शक्ति और पवित्रता का प्रतीक है। इसे पुजारियों या बुजुर्गों द्वारा दिव्य आशीर्वाद के लिए मंत्रों के जाप के साथ कलाई पर बांधा जाता है। कुछ लोग व्यक्तिगत या क्षेत्रीय रीति-रिवाजों के आधार पर इसे विशिष्ट उंगलियों या ऊपरी बांह पर बांधते हैं।

ध्यान रखें:

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुरुषों और अविवाहित लड़कियों को हमेशा अपने दाहिने हाथ में कलावा बांधना चाहिए।
  • इसलिए विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए।
  • ध्यान रखें कि कलावा बंधवाते समय मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए।

बांधने के अवसर:

  • रक्षा बंधन: अगस्त में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, यह भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का प्रतीक है, जो सुरक्षा और प्रेम का प्रतीक है।
  • धार्मिक समारोह: पूजा, यज्ञ या अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान, मौली को दैवीय सुरक्षा के प्रतीक के रूप में बांधा जाता है।
  • त्यौहार: नवरात्रि, दिवाली, या गणेश चतुर्थी जैसे विभिन्न त्यौहारों पर, लोग दैवीय आशीर्वाद और बुरी ताकतों से सुरक्षा के लिए मौली बांधते हैं।

मौली महत्व:

  • सुरक्षा: 'रक्षा' शब्द का अर्थ ही सुरक्षा है, और माना जाता है कि मौली पहनने वाले को नकारात्मक ऊर्जाओं और प्रतिकूलताओं से बचाता है।
  • प्यार का बंधन: रक्षा बंधन के दौरान मौली बांधना भाई-बहनों के बीच बिना शर्त प्यार और सुरक्षात्मक बंधन का प्रतीक है।
  • धार्मिक शुद्धता: लाल या पीला रंग शुभ माना जाता है और पवित्रता और धार्मिक उत्साह का प्रतिनिधित्व करता है।

संक्षेप में, रक्षा सूत्र मौली अपने भौतिक स्वरूप को पार कर विश्वास, सुरक्षा और शाश्वत संबंधों का प्रतीक बन गया है जो व्यक्तियों को प्रेम और आध्यात्मिकता में बांधता है।







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