शुक्रताल हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। शुक्रताल हिन्दू धर्म के अनुयाईयों के लिए एक तीर्थ स्थल है। शुक्रताल तीर्थस्थल का सम्बंध महाभारत काल से है। इसलिए यह स्थान हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल माना जाता है। शुक्रताल भारत के राज्य उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर के पास स्थित है। शुक्रताल भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 152 किलोमीटर की दूरी पर है। शुक्रताल गंगा नदी के तट पर स्थित है।
शुक्रताल के मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है और भगवान श्रीकृष्ण ही यह स्थान के मुख्य देवता है।
ऐसा कहा जाता है कि इस जगल पर अभिमन्यु के पुत्र और पांडव पुत्र अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित - जिनको शाप मिला था कि उन्हें एक सप्ताह के अंदर तक्षक नाग द्वारा डस लिया जायेगा - ने महऋषि शुकदेव के श्रीमुख से भगवत कथा का श्रवण किया था।
इसी स्थान पर वट वृक्ष के नीचे एक मंदिर का निर्माण किया गया था। इस वृक्ष के नीचे बैठकर ही शुकदेव जी भागवत कथा सुनाया करते थे। ये वट वृक्ष यहाँ अभी भी विद्यमान है। ऐसा माना जाता है कि इस वृक्ष पर कभी पतझड़ नहीं आता। मंदिर के भीतर एक यज्ञशाला भी है। राजा परीक्षित महऋषि जी से भागवत की कथा सुना करते थे।
शुक्रताल में स्थित अक्षवत वृक्ष है और इसी वृक्ष के नीचे करीब 5000 सालों पूर्व राजा परीक्षित को श्राप मुक्ति दिलाने के लिए को 88000 ऋषि-मुनियों एवं स्वयं सुखदेव जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा को सुनाई थी।
शुक्रताल में समय-समय पर भगवद् गीता की कथा का विशेष कार्यक्रम किया जाता है। जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते है।
शुक्रताल में और भी मंदिर है जो कि शुक्रताल को विशेष बनाते हैं। जैसे गणेश, भैरव, शिव, हनुमान और दुर्गा माता का मंदिर है।
भगवान गणेश का मंदिर है जिसमें भगवान गणेश की 35 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है।
भगवान हनुमान का मंदिर है जिसमें भगवान हनुमान जी कि 72 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है।
भगवान शिव का मंदिर है जिसमें भगवान शिव जी कि 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है।
माता दुर्गा का मंदिर है जिसमें भगवान दुर्गा मा कि 80 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है।