वाणेश्वर महादेव मंदिर एक पुराना मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर बनीपारा गांव, कानुपर, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थिति है। यह मंदिर भारत व आस-पास के लोगों के विश्वास का केन्द्र है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के स्थापना दैत्यराज वाणसुर ने की थी।
ऐसा माना जाता है यह स्थान दैत्यराज वाणासुर की राजधानी थी। दैत्यराज बलि के पुत्र वाणासुर ने मंदिर में विशाल शिवलिंग की स्थापना की थी। श्रीकृष्ण और वाणासुर के बीच युद्ध के बाद यह मंदिर ध्वस्त हो गया था।
परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने इसका पुनः निर्माण करया था और इस मंदिर का नाम वाणपुरा जन्मेजय नाम रखा था। स्थानीय भाषा में कुछ समय बाद इसे बनिपारा जीन्य नाम दिया गया। मंदिर के पास शिव तालाब, टीला, ऊषा बुर्ज, विष्णु व रेवंत की मूर्तिया पौराणिकता को प्रमाणित करती हैं।
माना जाता था कि सतयुग में राजा वाणेश्वर की बेटी यहां सबसे पहले पूजा करती थी और तब से अब तक इस शिवलिंग पर सबसे पहले सुबह यहां कौन पूजा करता है इसका रहस्य आजतक बरकरार है।
आस-पास के लोगों का कहना है कि हजारों साल से मंदिर में सुबह-सुबह शिवलिंग पूजा हुआ मिलता है। यहां के लोगों की आस्था है कि सावन के सोमवार उपवास रखने के बाद यहां जल चढ़ाने मात्र से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती है ।
वाणेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि का त्योहार विशेष होता है। त्योहार के समय पंद्रह दिन का आयोजन किया जाता है। कानपुर देहट के भक्तों द्वारा गंगा जल लेकर, जालौन, हमीरपुर और बांदा की पूजा वाणेश्वर के भगवान शिव के बाद वापिस लोधेश्वर मंदिर जाते है।
कानपुर देहात जिले के अंतर्गत रूरा नगर से उत्तर पश्चिम दिशा में 7 किलोमीटर दूरी पर रूरा -रसूलाबाद मार्ग पर वाणेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह देवालय रोड के द्वारा कहिंझरी होकर कानपुर से जुड़ा हुआ है। कहिंझरी से इस मंदिर की दुरी 8 किलोमीटर है।