प्रेम मंदिर भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्री राम को समर्पित है। प्रेम मंदिर वंृदावन के पवित्र शहर, मथुरा जिला, उत्तर प्रेदश में स्थित है। प्रेम मंदिर की स्थापना श्री कृपालु महाराज द्वारा जनवरी 2001 में रखी गई थी तथा मंदिर को बनाने में लगभग 11 साल का समय लगा था। इस मंदिर का उद्घाटन समारोह 17 फरवरी 2012 किया गया था तथा मंदिर 17 फरवरी को जनता के लिए खोला गया था। इस मंदिर को बनाने की लागत लगभग 150 करोड़ रूपए आया था। वृंदावन में 54 एकड में निर्मित यह प्रेम मंदिर 125 फीट ऊंचा, 122 फीट लम्बा और 115 फीट चैडा है। इस मंदिर में सत्संग हाॅल जिसमें एक समय में 25,000 लोगों को समायोजित करेगा जिसका कार्य अभी चल रहा है। यह मंदिर के निर्माण के लिए इटैलियन संगमरमर का प्रयोग किया गया है। यह मंदिर प्राचीन भारतीय कला और वास्तुकला में एक पुनर्जागरण को दर्शाता है।
प्रेम मंदिर एक धार्मिक व आध्यात्मिक स्थान है। यह मंदिर रात्रि के समय बहुत सुन्दर और भव्य लगता है। इस मंदिर में लाईटों को आधुनिक तारीके से बहुत सुन्दर प्रयोग किया गया है, हर 5-10 मिनट के अन्तराल में मंदिर की लाईटों का रंग बदल जाता है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुडी सभी घटनाओं का बहुत सुन्दर वर्णन किया गया है। जिसमें सबसे सुन्दर व दर्शनीय गोवर्धन पर्वत और कालिया नाग की घटना है।
इस मंदिर के प्रथम तल में भगवान श्रीकृष्ण व राधा की और द्वितीय तल में भगवान श्रीराम व सीता की बहुत सुन्दर व मनमोहक प्रतिमा स्थापित है।
यह अद्वितीय श्रीराधा-कृष्ण प्रेम मंदिर प्राचीन भारतीय शिल्पकला की झलक भी दिखाता है। प्रेम मंदिर वास्तुकला के माध्यम से दिव्य प्रेम को साकार करता है। दिव्य प्रेम का संदेश देने वाले इस मंदिर के द्वार सभी दिशाओं में खुलते हैं। मुख्य प्रवेश द्वारों पर अष्ट मयूरों के नक्काशीदार तोरण बनाए गए हैं। पूरे मंदिर की बाहरी दीवारों पर श्रीराधा-कृष्ण की लीलाओं को शिल्पकारों ने मूर्त रूप दिया गया है। पूरे मंदिर में 94 कलात्मक स्तम्भ हैं जिनमें किंकिरी व मंजरी सखियों के विग्रह दर्शाए गए हैं।
प्रेम मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत ही सुन्दर तरीके से मानाया जाता है और भगवान श्री कृष्ण के जीवन से जुडी घटनाओं कि झांकिया बनायी जाती है जिन्हे बहुत भारी संख्या में भक्त मंदिर में दर्शनों के लिए आते है।