भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में शव यात्रा के दौरान 'राम नाम सत्य है' का उच्चारण करना एक महत्वपूर्ण और प्राचीन परंपरा है। इस वाक्य का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
'राम नाम सत्य है' का उच्चारण भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल मृत आत्मा की शांति के लिए बल्कि जीवित लोगों को सांत्वना और धैर्य प्रदान करने के लिए भी किया जाता है। शास्त्रों में भगवान राम के नाम की महिमा का वर्णन करते हुए, यह वाक्य हमें यह सिखाता है कि जीवन में सभी चीजें अस्थायी हैं और केवल ईश्वर का नाम ही शाश्वत सत्य है।
आइए जानते हैं कि शास्त्रों में इसका क्या अर्थ है और 'राम नाम सत्य है' क्यों कहा जाता है।
'राम नाम सत्य है' का सरल अर्थ है कि भगवान राम का नाम सत्य है। यह वाक्य हमें यह याद दिलाता है कि संसार में जो कुछ भी अस्थायी है, उसमें केवल ईश्वर का नाम ही शाश्वत और सत्य है। जीवन और मृत्यु के चक्र में केवल ईश्वर का नाम ही स्थायी और अटल है।
शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु एक अवश्यंभावी सत्य है जिसे हर जीव को स्वीकार करना होता है। 'राम नाम सत्य है' का उच्चारण मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति और ईश्वर से मिलन की प्रार्थना के रूप में किया जाता है। यह वाक्य हमें यह भी स्मरण कराता है कि मृत्यु के बाद केवल भगवान का नाम ही शेष रहता है और संसारिक जीवन की सभी वस्तुएं नश्वर हैं।
वेदों और पुराणों में भगवान राम के नाम को महिमामंडित किया गया है। राम का नाम लेने से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा को शांति मिलती है। रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने भी राम नाम की महिमा का वर्णन किया है। उनके अनुसार, राम का नाम लेने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।