अक्सर हम मंदिर में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं। कभी आपने सोचा है कि इसका क्या महत्त्व है और ऐसा किस लिए किया जाता है? बेलपत्र के पेड़ को सदियों से पवित्र पेड़ माना जाता है इसके कुछ गुणों कारण भी और भगवान शिव को बेलपत्र के पत्ते अति प्रिय है, इसलिए भगवान शिव को चढ़ाया गया चढ़ावा भी बिना बेलपत्र के बिना अधुरा माना जाता है। बेलपत्र की तीन प़ित्तयाँ जो एक साथ जुड़ी हों, को पवित्र माना जाता है। तीन पत्तियाँ एक साथ जुड़ी होती है इसलिए इन तीन पत्तियों को त्रिदेव माना जाता है और कुछ लोगों का विश्वास है कि तीन पत्तियाँ महादेव के त्रिशूल को दर्शाती है।
ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र की तीन जुड़ी हुई पत्तियों को चढ़ाने से भगवान शिव को शान्ति मिलती है तथा जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते है। भगवान शिव को अगर प्रेम से सिर्फ बेलपत्र की पत्तियाँ चढ़ाई जाती है तो भगवान शिव प्रसन्न होते है।
इस विषय पर बहुत से कथाँ प्रचलित हैं। परन्तु एक कथा से इसके महत्त्व के बारे में ज्यादा पता चलता हैं जो बहुत ही प्राचीन है। वह कथा है समुंद्र मंथन कि कथा। जब देवता और दानवों दोनों ने समुंद्र मंथन किया था तो मंथन के दौरान बहुत सी चीज़े निकली थी उसमें से एक था हलाहल विष। ये ऐसा विष था जिससे सम्पूर्ण जगत में विष फैल सकता था इसलिए इस विष को भगवान शिव ने जगत कल्याण हेतु पी लिया और अपने कंठ में धारण कर लिया जिसके कारण भगवान शिव को नीलकंठ कहा जाता है। इस विष का प्रभाव इतना भंयकर था कि भगवान शिव का मस्तिष्क गर्म हो गया और भगवान शिव बैचेन हो उठे। तब देवताओं ने भगवान शिव के सर पर जल प्रभावित किया। जल की शीलता से मस्तिष्क को आराम मिला परन्तु कंठ कि जलन कम नहीं हुई। तब देवताओं ने भगवान शिव को बेलपत्र के पत्ते खिलायें, क्योंकि बेलपत्र में विष के प्रभाव को कम करने के गुण होते है। इसलिए शिव की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्त्व हैं।
इस विषय में सद्गुरु ने कहा है कि शिवलिंग पर चढ़ायें गयें बेलपत्र में शिव की गुंज होती है इसलिए यदि आप बेल-पत्र को चढ़ाएं, उसे अपनी कमीज की ऊपरी जेब में रखकर घूमें, यह आपके लिए स्वास्थ्य, सुख, मानसिक स्थिति, हर क्षेत्र में लाभदायक होगा।