हिन्दू पूजा से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ
thedivineindia.com | Updated UTC time: 2022-02-16 00:51:18
हिन्दू धर्म में पूजा से सम्बंधित कुछ नियम होते हैं। जिन्हें ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं और अपनी पूजा में त्रुटियां करते है, जिसके परिणाम विपरित हो जाते हैं। ऐसे ही कुछ नियम निम्नलिखित है जिसका पालन करना चाहिए -
- पूजागृह में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो गोमती-चक्र और दो शालिग्राम का पूजन नहीं करना चाहिये।
- घर में 9 इंच (22 सेंटीमीटर) से छोटी देवप्रतिमा होनी चाहिये। इससे बड़ी प्रतिमा घर में शुभ नहीं होती है, उसे मंदिर में रखना चाहिये। घर में 9 इंज से बड़ी प्रतिमा स्थापित करते तो सूतक में भी पूजा करनी पड़ती है।
- परिक्रमा देवी की एक बार, सूर्य की सात बार, गणेश की तीन बार, विष्णु की चार बार तथा शिव की आधी परिक्रमा करनी चाहिए।
- आरती करते समय भगवान् विष्णु के समक्ष बारह बार, सूर्य के समक्ष सात, दुर्गा के समक्ष नौ, शंकर के समक्ष ग्यारह और गणेश के समक्ष चार बार आरती घुमानी चाहिए।
- पूजा करते समय केवल भूमि पर न बैठे। आसन जरूर बिछावें। ऐसा इसलिए करना चाहिए, क्योंकि पूजा करते समय हमारे शरीर में एक ऊर्जा उत्पन्न होती है जो भूमि स्थानांरण हो जाती है।
- शिलान्यास सर्वप्रथम आग्नेय दिशा में होना चाहिये। शेष निर्माण प्रदक्षिण-क्रम से करना चाहिये। मध्याह्न, मध्य रात्रि और सन्ध्याकाल में नींव न रखें। आग्नेय दिशा पूर्व दक्षिण के मध्य स्थान को कहते हैं। शुक्र ग्र्रह को इस दिशा का स्वामी माना जाता है।
- पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में नीची भूमि सबके लिये अत्यंत लाभप्रद होती है। अन्य दिशाओं में नीची भूमि सबके लिये हानिकारक होती है।
- घर के उत्तर प्लक्ष (पाकड़), पूर्व में वटवृक्ष, दक्षिण में गुलर और पश्चिम में पीपल का वृक्ष शुभप्रद होता है। पेड़ की छाया घर पर नहीं पड़नी चाहिये।
- ईंट, लोहा, पत्थर, मिट्टी और लकड़ी-ये नये मकान में नये ही लगाने चाहिये। एक मकान की सामग्री को दूसरे मकान में लगाना अत्यंत हानिकारक है।
- सोने के समय सदा पूर्व अथवा दक्षिण दिशा की ओर सिर रखना चाहिये।
- प्रतिदिन माथे पर तिलक, चंदन लगाकर ही कार्य के लिये निकलें।
- घर में सीडि़यों के नीचे, शौचालय या बाथरूम के बगल में या ऊपर नीचे और बेसमेंट में मंदिर का होना, घर की खुशहाली और समृधि के लिए उत्तम नहीं माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार जिन देवताओं के दो से ज्यादा हाथों में अस्त्र हों उनके चित्र भी नहीं लगाने चाहिए।
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