भीष्म पंचक 2025

महत्वपूर्ण जानकारी

  • भीष्म पंचक 2025
  • पंचक आरंभ: शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025
  • पंचक समाप्ति: मंगलवार, 04 नवंबर 2025

यह व्रत कार्तिक शुक्ल एकादशी से प्रारम्भ होकर पूर्णिमा तक चलता है। कार्तिक स्नान करने वाली स्त्रियाँ एवं पुरुष निराहार रहकर व्रत करते हैं। इस दिन का नाम भीष्म पितामह के नाम पर रखा गया है। जब भगवान श्रीकृष्ण और पाँचों पांडवों के साथ पितामह भीष्म के पास राज्य सम्बन्धी उपदेश प्राप्त करने गये थे तब भीष्म ने पाँच दिनों तक उपदेश दिये और भगवान श्रीकृष्ण पितामह भीष्म के उपदेशों से बहुत प्रसन्न हुए। श्रीकृष्ण ने इन पाँच दिनों को भीष्म पंचक व्रत नाम दिया।

पूजा विधान

‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र से भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। पाँच दिनों तक लगातार घी का दीपक चलता रहना चाहिए। ‘ऊँ विष्णुव नमः स्वाहा’ मंत्र से घी, तिल और जौ की 108 आहुतियाँ देते हुए हवन करना चाहिए।

भीष्म पंचक कथा

महाभारत का युद्ध समाप्त होने पर जिस समय भीष्म पितामह सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा में शरशय्या पर शयन कर रहे थे। तब भगवान कृष्ण पाँचों पांडवों को साथ लेकर उनके पास गये थे। उपयुक्त अवसर जानकर यूधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से प्रार्थना की कि आप हमें राज्य सम्बन्धी उपदेश देने की कृपा करें। तब भीष्म पितामह ने पाँच दिनों तक राज धर्म, वर्णधर्म, मोक्षधर्म, आदि पर उपदेश दिया था। उनकर उपदेश सुनकर श्रीकृष्ण सन्तुष्ट हुए और बोले, ‘पितामह! आपने कार्तिक शुक्ल एकादशी में पूर्णिमा तक पाँच दिनों में जो धर्ममय उपदेश दिया है, उससे मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है। मैं इसकी स्मृति में आपके नाम पर भीष्म पंचक व्रत स्थापित करता हूँ।’

जो लोग इसे करेंगे वे जीवन भर विविध सुख भोगकर अन्त में मोक्ष प्राप्त करेंगे।







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