शाकुम्भरी देवी मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Location: Jasmor, Saharanpur, Uttar Pradesh 247121, India
  • Temple Open and Close Timing: 05:00 am to 09:30 pm
  • In special days visiting times can be changed.
  • Nearest Railway Station: Saharnapur Railway Station at a distance of nearly 43 kilometres from Shakumbari Devi Temple.
  • Nearest Airport: Jolly Grant airport of Dehradun at a distance of nearly 90 kilometres from Shakumbari Devi Temple.
  • Important festival: Navratri and Holi.
  • Primary deity: Shakumbari Devi.

शाकुम्भरी देवी मंदिर एक हिन्दूओं का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर देवी दुर्गा का शक्तिपीठ मंदिर है। यह मंदिर जसमोर गांव, सहारनपुर से 40 किलोमीटर दूर, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर सहारनपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। शाकुम्भरी देवी मंदिर को कब और किसने बनाया यह ज्ञात नहीं है परन्तु माना जाता है कि शिवालिक पर्वत श्रृंखला के बीच में स्थित यह मंदिर मराठों द्वारा निर्मित किया गया था।

इस स्थान पर हिन्दू देवताओं के दो महत्वपूर्ण मंदिर है एक देवी शाकुम्भरी का समर्पित है दूसरा भुरा देव को, जो कि भगवान भैरव को समर्पित है। भगवान भैरव को देवी के गार्ड के रूप में माना जाता है कहां जाता है कि जहां शिव होगें वही शक्ति होगी और जहां शक्ति होगी वह शिव होगें।

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार दुर्गम नाम के राक्षस ने भगवान ब्रह्मा जी की आराधना की। दुर्गम की आराधना से खुश होकर ब्रह्मा जी ने उसको वरदान दिया कि वह किसी देवता से युद्ध में नहीं हारेगा और चारों वेद व पुराण भी दे दिये। दुर्गम ने वरदान प्राप्त करने के बाद अत्याचार करना शुरू कर दिया और इन्द्र, वरूण आदि देवताओं को अपना बन्दी बना लिया। जिसकी वज़ह से धरती पर कई वर्षों तक वर्षा नहीं हुई और धरती पर लोग धर्म कर्म भूल गये। ब्राह्मण भी शराब और मांस को सेवन करने लगे। तब अम्बे माता ने अवतार लिया और माता अपने नयनों से आंशु बहाने लगी जिससे नदियों में पानी बहने लगा। अम्बे माता ने साग और सब्जी पैदा किये। जिससे धरती पर फिर से धर्म कर्म वातिस आ गया। अम्बे माता ने दुगर्म राक्षस को मार दिया और चारों वेद और पुराण वापिस ले लिये। इस तरह से साग व सब्जी (शाकाहारी भोजन) से जगत का कल्याण करने से माता का नाम शाकुम्भरी हुआ।

यह भी माना जाता है कि, यहां अम्बे माता ने 100 वर्षों के लिए पूजा और ध्यान किया था, प्रत्येक माह के अंत में केवल एक बार शाकाहारी भोजन किया था। इस समय के दौरान, उनकी पूजा (दर्शन) के लिए आए संतों और ऋषिओं का स्वागत किया गया और शाकाहारी भोजन से सम्मानित किया था। इस वजह से मंदिर को शकुम्बरी देवी मंदिर का नाम दिया गया था और वह भी हिंदुओं के बीच शाकाहार के पंथ के साथ बहुत दृढ़ता से जुड़े थे।

हिंदू त्योहार नवरात्री के दिनों में, और होली त्योहार के समय, प्रसिद्ध शकुंभरी मेला का आयोजन किया जाता है। शाकुम्भरी के भक्त पहले मंदिर के सामने एक किलोमीटर पहले भूरा देव मंदिर की यात्रा करते हैं और फिर देवी मंदिर के पास जाते हैं।

इस मंदिर की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ रही है और आज भी इस मंदिर के पास ‘दर्शन’ के लिए इस मंदिर की यात्रा करने वाले कई भक्त हैं। इस प्रसिद्ध मेला के दौरान, लाखों हिंदू भक्त दर्शन के लिए इस मंदिर की यात्रा करते हैं। मंदिर में देवी के दर्शन के लिए भक्त, पूरी भक्ति और विश्वास से साथ अपनी इच्दा पूर्ति के लिए यहां आते है।











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