अन्नपूर्णा जयंती 2025

महत्वपूर्ण जानकारी

  • अन्नपूर्णा जयंती 2025
  • गुरुवार, 04 दिसंबर 2025
  • पूर्णिमा प्रारंभ - 04 दिसंबर 2025 को सुबह 08:38 बजे
  • पूर्णिमा समाप्ति - 05 दिसंबर 2025 को सुबह 04:44 बजे

अन्नपूर्णा जयंती हर साल मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है, जिन्हें अन्न, समृद्धि, और पालन-पोषण की देवी माना जाता है। देवी अन्नपूर्णा, भगवान शिव की अर्धांगिनी पार्वती का एक स्वरूप हैं, जो मानव जाति को अन्न प्रदान कर जीवन का पोषण करती हैं।

अन्नपूर्णा जयंती का मुख्य उद्देश्य अन्न के महत्व को समझना, उसका सम्मान करना और इसे सबके साथ बांटना है। इस पर्व पर भक्तगण देवी अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं और घर-परिवार में अन्न, धन और समृद्धि की कामना करते हैं। साथ ही, यह दिन हमें जरूरतमंदों की सहायता करने और अन्न का दान करने की प्रेरणा देता है।

अन्नपूर्णा जयंती का पौराणिक कथा और संदर्भ

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि संसार में अन्न का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि जीवन ध्यान, साधना, और तपस्या के बल पर भी चल सकता है। भगवान शिव की इस बात से माता पार्वती नाराज हो गईं और उन्होंने सृष्टि से अन्न को गायब कर दिया।

अन्न की अनुपस्थिति से चारों ओर भूख और अकाल का प्रकोप फैल गया। संसार के जीव-जन्तु, मनुष्य, और देवता सभी अन्न के बिना संकट में पड़ गए। तब भगवान शिव ने अपनी गलती स्वीकार की और माता पार्वती से अन्न का महत्व समझाने की प्रार्थना की।

इसके बाद माता पार्वती ने अन्नपूर्णा का रूप धारण कर अन्न का पुनः वितरण किया और संसार को जीवन प्रदान किया। तभी से माता अन्नपूर्णा को अन्न और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है।

अन्नपूर्णा जयंती की पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धता का पालन करें

    • प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
    • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  2. पूजा सामग्री की व्यवस्था करें

    • चावल, गेहूं, हल्दी, केसर, फल, फूल, दीपक, और धूप आदि पूजा सामग्री इकट्ठा करें।
    • देवी अन्नपूर्णा को भोग के लिए खीर, मीठा, या कोई विशेष व्यंजन अर्पित करें।
  3. मंत्र जाप और आरती करें

    • पूजा के दौरान देवी अन्नपूर्णा के निम्न मंत्र का जाप करें:
      "ॐ अन्नपूर्णायै नमः।"
    • देवी की आरती करें और प्रसाद को सभी के साथ बांटें।
  4. अन्न और वस्त्र का दान करें

    • इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना शुभ माना जाता है।
    • दान करने से देवी अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
  5. व्रत और कथा का श्रवण करें

    • अन्नपूर्णा जयंती के दिन व्रत रखने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
    • देवी अन्नपूर्णा की कथा सुनना और सुनाना शुभ होता है।

अन्नपूर्णा जयंती का महत्व

  1. अन्न की पूजा और सम्मान

    • यह पर्व अन्न का महत्व समझाता है और हमें इसे कभी भी बर्बाद न करने की प्रेरणा देता है।
  2. दान और सेवा का संदेश

    • इस दिन अन्न का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह हमें दूसरों की मदद करने और परोपकार की भावना को बढ़ावा देने की प्रेरणा देता है।
  3. आर्थिक समृद्धि और शांति

    • माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से जीवन में अन्न और धन की कभी कमी नहीं होती।
    • घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
  4. कर्म और धर्म का संतुलन

    • यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में भोजन और पोषण के साथ-साथ धर्म और कर्म का संतुलन भी आवश्यक है।

अन्नपूर्णा जयंती का आधुनिक संदर्भ

आज के समय में, जहां भोजन और अन्न का अपमान आम बात हो गई है, अन्नपूर्णा जयंती का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन हमें अन्न के महत्व को समझना चाहिए और इसे व्यर्थ नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही, हमें जरूरतमंदों की सहायता करने और उनके लिए भोजन का प्रबंध करने का प्रयास करना चाहिए।

अन्नपूर्णा जयंती का संदेश

अन्नपूर्णा जयंती न केवल देवी अन्नपूर्णा की पूजा और आराधना का पर्व है, बल्कि यह हमें अन्न, दान, और सेवा का महत्व समझाने वाला पावन अवसर है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि भोजन का सम्मान करें, दूसरों के साथ इसे बांटें, और हमेशा प्रकृति और ईश्वर के प्रति कृतज्ञ रहें।

"माता अन्नपूर्णा की कृपा से आपके जीवन में सदा अन्न, धन, और समृद्धि बनी रहे।"
"ॐ अन्नपूर्णायै नमः।"









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