

पद्मनाभ द्वादशी व्रत आश्विन शुक्ल की द्वादशी को किया जाता है। यह व्रत पापांकुशी एकादशी के अगले दिन किया ही किया जाता है। इसमें भगवान पद्मनाभ की पूजा की जाती है। पद्मनाथ भगवान विष्णु का एक रूप है। यह व्रत भगवान विष्णु का समर्पित है। इस दिन भगवान जागृतावस्था प्राप्त करने हेतु अंगडाई लेते हैं तथा पद्मासीन ब्रह्मा ‘ऊँकार’ ध्वनि करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जो भक्त पद्मनाभ द्वादशी व्रत का पालन करते हैं, वे जीवन भर समृद्धि प्राप्त करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं। इस व्रत का उल्लेख वराह पुराण में मिलता है।
भगवान विष्णु की प्रतिमा को क्षीर से स्नान कराकर भोग लगावे तथा धूप, दीप, नैवेद्य, चन्दन से आरती उतारें ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देवें। इस दिन विष्णु सहस्रनाम स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से मनोवांछित फल मिलता है।