नश्यन्तु प्रेतकुष्माण्डा नश्यन्तु दूष का नराः ।
साधकानां शिवाः सन्तु आम्नायपरिपातिनाम् || 1 ||
जयन्ति मातरः सर्वा जयन्ति योगिनीगणाः ।
जयन्ति सिद्धडाकिन्यो जयन्ति गुरुपङ्क्तयः ॥ 2 ॥
जयन्ति साधकाः सर्वे विशुद्धाः साधकाश्च ये ।
जयन्ति पूज समयाचारसम्पन्ना का नराः ॥ 3 ॥
नन्दन्तु चाणिमासिद्धाः नन्दन्तु कुलपालकाः ।
देवताः सर्वे तृप्यन्तु इन्द्राद्या वास्तुदेवताः ॥ 4 ॥
चचन्द्रसूर्यादयो देवास्तृप्यन्तु भक्तितत: ।
मम नक्षत्राणि ग्रहा योगा करणा राशयश्च ये ।। 5 ।।
सर्वे ते सुखिनो यान्तु सर्पा नश्यन्तु पक्षिणः ।
पशवस्तुरगाचैव पर्वताः कन्दरा गुहाः ॥ 6 ॥
ऋषयो ब्राह्मणाः सर्वे शान्ति कुर्वन्तु सर्वदा ।
स्तुता मे विदिताः सन्तु सिद्धास्तिष्ठन्तु पूजकाः ॥ 7॥
ये ये पापधियस्सुदूषणरता मन्निन्दकाः पूजने ।
वेदाचारविमर्दनेष्टहृदया भ्रष्टष्य ये साधकाः ॥
दृष्टवा चक्रमपूर्वमन्दहृदया ये कोलिका दूषकास्ते ।
ते यान्तु विनाशमत्र समय श्री भैरवस्याज्ञया ।। 8 ।।
द्वेष्टारः साधकानां सदैवाम्नायदूषकाः ।
डाकिनीनां मुखे यान्तु तृप्तास्तत्पिशितैः स्तुताः ।। 9 ।।
ये वा शक्तिपरायणा: शिवपरा ये वैष्णवाः साधवः ।
सर्वस्मादखिले सुराधिपमजं सेव्यं सुरेः सन्ततम् ॥ 10 ॥
शक्तिं विष्णुधिया शिवं च सुधिया श्री कृष्णबुद्धया च ये ।
सेवन्ते त्रिपुरं त्वभेदमतयो गच्छन्तु मोक्षन्तु ते ॥ 11 ॥
शत्रवो नाशमायान्तु मम निन्दाकरच ये ।
द्वेष्टारः साधकानां च ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ॥ 12 ॥
ततः परं पठेत स्तोत्रमानन्दस्तोत्रमुत्तमम् ॥
॥ इति शान्ति स्तोत्रम् ॥
"तंत्र शांति स्तोत्र" हिंदू धर्म में पाया जाने वाला एक भक्ति भजन या स्तोत्र है, जो तंत्र की अवधारणा को समर्पित है। हिंदू धर्म के संदर्भ में तंत्र एक आध्यात्मिक और अनुष्ठानिक अभ्यास है जिसमें विभिन्न गूढ़ और रहस्यमय तत्व शामिल हैं। इसमें आध्यात्मिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए देवताओं की पूजा, मंत्र जप, ध्यान और पवित्र अनुष्ठानों का एकीकरण शामिल है।
तंत्र शांति स्तोत्र एक प्रार्थना या भजन है जिसे तंत्र के अभ्यास में आशीर्वाद, सुरक्षा और सद्भाव का आह्वान करने के साधन के रूप में पढ़ा जाता है। इसका उपयोग एक प्रार्थना के रूप में यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है कि तंत्र से जुड़े गूढ़ अनुष्ठान और अभ्यास सुचारू रूप से और सकारात्मक परिणामों के साथ आगे बढ़ें।
कृपया ध्यान दें कि तंत्र शांति स्तोत्र की विशिष्ट सामग्री और छंद भिन्न हो सकते हैं, और यह हिंदू धर्म में अधिक लोकप्रिय देवताओं या अवधारणाओं को समर्पित कुछ अन्य स्तोत्रों की तरह व्यापक रूप से ज्ञात या प्रलेखित नहीं हो सकता है।